रोहित शर्मा के कदम मानो आगे बढ़ने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्हें यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जिस गेंद को वे गेंदबाज की बगल से खेलने की कोशिश कर रहे थे, वह शॉर्ट मिडविकेट पर चली गई और फील्डर ने उसे कैच कर लिया। उन्होंने हाथों के इशारे से भी यह बताने की कोशिश की। टेस्ट मैच में खराब फॉर्म के चलते रणजी खेलने उतरे रोहित के बल्ले से दोनों पारियों में कुल 31 रन ही निकल सके। उन्होंने अपनी ओर से कोशिशों में कोई कमी नहीं छोड़ी। पहली पारी में उन्होंने 3 रन बनाने के लिए 19 गेंदें खेलीं। पहली पारी में उनका अंदाज बता रहा था कि वे क्रीज पर समय बिताने के इरादे से उतरे हैं, लेकिन उमर नजीर की एक गेंद पर वे चकमा खा गए।
पहली पारी की नाकामयाबी के बाद सेकंड इनिंग में उन्होंने अपना अंदाज बदल लिया। क्रीज पर उतरते ही उन्होंने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी शुरू की। 34 गेंद की अपनी पारी में वे दो चौके और तीन छक्के लगा चुके थे। ऐसा लग रहा था कि अपने रूठे बल्ले को मनाने में वे कामयाब रहे हैं, लेकिन तभी युद्धवीर सिंह की एक गेंद ने उनकी पारी का अंत कर दिया। रोहित भारी कदमों से पवेलियन की ओर चले, लेकिन उनका मन नहीं मान रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मैदान पर उनका कुछ छूटता जा रहा है। चिंता उनके फैन्स को भी हो रही थी। उन्हें अंदेशा हो रहा था कि कहीं रोहित का अंतरराष्ट्रीय करियर तो नहीं पीछे छूटता जा रहा है।
इस अंदेशे की वजहें भी हैं। पिछले एक साल से रोहित के बल्ले से रन ही नहीं निकल रहे। 2024-25 सीजन में टेस्ट मैचों में उन्होंने 10.93 की औसत से रन बनाए हैं। बांग्लादेश और न्यूजीलैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैच की 10 पारियों में वे केवल एक हाफ सेंचुरी लगा सके। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में उन्होंने तीन टेस्ट खेले। इनमें पांच पारियों में केवल एक बार वे दोहरे अंकों में पहुंच सके। हालत ये हो गई कि सीरीज के आखिरी मुकाबले में उन्हें खुद को ही ड्रॉप करना पड़ा। उनके रिटायरमेंट की चर्चाएं जोर पकड़ने लगीं। रोहित ने संन्यास से इंकार करते हुए यह दावा किया कि उनके बल्ले में अब भी जान बाकी है। वे रणजी ट्रॉफी में उतरे, लेकिन किस्मत ने यहां भी उनका साथ नहीं दिया। अब सवाल है कि रोहित क्या करेंगे।
ये सवाल इसलिए क्योंकि रोहित की उम्र अब 37 साल से ज्यादा हो चुकी है। 2025-26 में भारतीय टीम जब अपना पहला टेस्ट मैच खेलेगी, तब तक वे 38 साल के हो चुके होंगे। मतलब साफ है कि उम्र रोहित के साथ नहीं है। टीम में उनकी जगह लेने के लिए कई दावेदार तैयार हैं। अनुभवी केएल राहुल के अलावा अभिमन्यु ईश्वरन अपना दावा पेश कर चुके हैं तो आयुष महात्रे जैसे युवा भी कतार में हैं। रोहित के लिए उम्मीद की एक किरण चैंपियंस ट्रॉफी हो सकती है। फरवरी में होने वाले इस टूर्नामेंट में सभी शीर्ष टीमें होंगी। फॉर्मेट भले अलग हो, लेकिन रोहित के बल्ले पर सबकी निगाहें होंगी।
यदि वे चैंपियंस ट्रॉफी में अपने बल्ले से कमाल दिखा पाते हैं तभी टेस्ट टीम में उन्हें जगह मिल पाएगी। यदि ऐसा नहीं हुआ तो रोहित शर्मा के अंतरराष्ट्रीय करियर का जल्द ही अंत हो सकता है। रोहित खुद भी यह जानते हैं। मुंबई के शरद पवार एकेडमी ग्राउंड पर पवेलियन लौटते हुए उनकी धीमी चाल की शायद यही वजह थी। वे शायद उस लम्हे को जल्दी पास नहीं आने देना चाहते जब उन्हें अपने संन्यास का ऐलान करना पड़े।
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54 गेंद, 31 रन, रणजी ट्रॉफी में भी फ्लॉप रहे रोहित शर्मा, अब क्या करेंगे हिटमैन