पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहीं भारतीय रेसलर रीतिका हुड्डा का सफर समाप्त हो गया है. रीतिका हुड्डा को 76 किलोवर्ग फ्रीस्टाइल कुश्ती इवेंट के क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा है. इस कैटेगरी की टॉप सीड किर्गिस्तान की एपेरी काइजी ने उन्हें मात दी. शनिवार, 10 अगस्त को खेला गया क्वार्टर फाइनल मुकाबला समाप्ति के सयम 1-1 से बराबर था. लेकिन आखिरी अंक किर्गिस्तान की रेसलर को मिला था, जिससे उन्होंने बाजी जीत ली.
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रीतिका और काइजी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला. दोनों रेसलर्स एक-दूसरे को कोई मौका नहीं दे रही थीं. हालांकि इस दौरान पैसिविटी (अति रक्षात्मक रवैया) के कारण दोनों ने 1-1 अंक भी गंवाए. रीतिका ने शुरुआती पीरियड में पैसिविटी से एक अंक बढ़त बना ली थी. दूसरे पीरियड में डटकर मुकाबला करने के बावजूद उन्होंने पैसिविटी के कारण एक अंक गवा दिया, जो क्वार्टरफाइनल का आखिरी अंक साबित हुआ.
कुश्ती के नियमों के अनुसार जो रेसलर अंतिम तकनीकी पॉइंट हासिल करता है, उसी को जीत मिलती है. इस तरह रीतिका सेमीफाइनल में पहुंचने से चूक गईं. अब उनके पास रेपचेज के जरिए ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका बचा है. हालांकि इसके लिए भी रीतिका को दुआ करनी होगी कि किर्गिस्तान की रेसलर फाइनल में पहुंच जाएं.
क्या है पैसिविटी का नियम?
फ्रीस्टाइल कुश्ती में पैसिविटी कॉल का इस्तेमाल बाउट को आक्रामक करने के लिए किया जाता है. ऐसा तब होता है जब किसी भी रेसलर ने पहले दो मिनट के अंदर एक भी अंक हासिल न किया हो. ऐसे में जो रेसलर ज्यादा रक्षात्मक रहता है, उसे 30 सेकंड के अंदर एक अंक लेना रहता है. अगर तीस सेकंड के भीतर वह रेसलर अंक हासिल नहीं कर पाता है तो विपक्षी खिलाड़ी को एक पॉइंट मिल जाता है.
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क्वार्टर फाइनल मैच 1-1 से ड्रॉ होने पर भी क्यों हारीं रीतिका हुड्डा? जानें क्या कहते हैं नियम