डीएनए हिंदी: भारत और पाकिस्तान के बीच भले ही कम मैच होने लगे हैं लेकिन प्रतिद्वंद्विता पहले से कहीं और बढ़ गई है. भारतीय टीम आखिरी बार साल 2021 में पाकिस्तान के सामने मैदान पर उतरी थी, जहां उसे हार का स्वाद चखना पड़ा था और अब इसी महीने की 28 तारीख को दोनों टीमें लगभग एक साल बाद फिर से आमने सामने होंगी. Asia Cup 2022 के इस मुकाबले से दोनों टीमें अपने अभियान का आगाज करेंगी ऐसे में हम आपके लिए रोज भारत पाकिस्तान के बीच मुकाबले की कहानी लेकर आते हैं. उसी सीरीज में आज उस मैच की बात करेंगे जिसमें पाक गेंदबाजों के सामने भारतीय बल्लेबाज कहीं नहीं टिक पाए थे.
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बात साल 1978 की है जब भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान दौरे पर गई थी. भारत को उस दौरे पर पाकिस्तान के खिलाफ तीन टेस्ट और तीन वनडे मैचों की सीरीज खेलनी थी. क्वेटा में भारत ने पाकिस्तान के सामने सिर्फ 170 रनों का लक्ष्य रखा लेकिन पाक टीन 166 रनों पर ढेर हो गई. दूसरा वनडे मुकाबले सियालकोट में खेला गया, जो भारत के लिए बुरे सपने जैसा रहा. पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले भारत को बल्लेबाजी करने का न्यौता दिया. भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही और 20 रन के भीतर 4 बल्लेबाज आउट हो गए.
सिर्फ दो बल्लेबाज़ पार कर पाए दहाई का आंकड़ा
उस भारतीय पारी में यशपाल शर्मा 11 रन बनाकर आउट हुए, तो भारत का स्कोर 36 रन था. इसके बाद मोहिंदर अमरनाथ के 36 रन को छोड़ दें तो बाकी की पूरी टीम सिर्फ 34 रन बना सकी था, जिसमें यशपाल शर्मा के 11 रन भी शामिल थे. पाकिस्तान की ओर से हसन जमील ने 18 रन देकर तीन विकेट हासिल किए थे, तो सलीम अलताफ ने 7 रन देकर और सिकंदर बख्त ने 11 रन देकर दो-दो बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई. 80 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की टीम ने दो विकेट गंवाकर ही लक्ष्य हासिल कर लिया.
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