अरशद नदीम के लिए Paris Olympic गोल्ड मेडल तक का सफर किसी भी सूरत में आसान नहीं था. कहते हैं कि हालात एक न एक दिन सबके बदलते हैं. ऐसे में आज जब हम अरशद को देखते हैं तो लगता है ये बात बिलकुल सच है. अरशद का गेम देखने के बाद इस बात में कोई शक नहीं रहता कि अरशद नदीम संघर्ष, दृढ़ निश्चय और असाधारण प्रतिभा का प्रतीक हैं. अरशद की अभी तक की ज़िंदगी हर उस युवा के लिए एक प्रेरणा है, जो अपनी असफलता के लिए अपने हालात को जिम्मेदार ठहराते हैं.
कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति कामयाब हो जाता है तो उसकी जीत की चर्चा पूरी दुनिया करती है, मगर उसके संघर्षों की कहानी लोग जान नही पाते. हम आपको 27 वर्षीय अरशद नदीम की कहानी पूरे विस्तार से बताएंगे. अरशद के वर्षों के संघर्ष का परिणाम बीते दिन उन्हें पेरिस ओलंपिक के पोडियम पर मिल ही गया.
बता दें कि बीते दिन हुए पेरिस ओलंपिक के मेंस जैवलीन थ्रो के फ़ाइनल मुकाबले मे पाकिस्तान के अरशद नदीम ने एक शानदार 92.97मीटर का थ्रो फेंककर अपने नाम गोल्ड मेडल किया. दिलचस्प ये कि पाकिस्तान के खाते में करीब 4 दशक बाद कोई ओलंपिक मेडल आया है.
पूरा पाकिस्तान तो उनकी प्रशंसा कर ही रहा है, वहीं भारत मे भी उनकी जीत के खूब चर्चे हैं. उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंदी भारत के नीरज चोपड़ा की मां का भी एक वीडियो वायरल है, जिसमे वो कहती नज़र आ रहीं हैं कि, 'मै सिल्वर मेडल से खुश हूं जिसने गोल्ड जीता है (अरशद नदीम) , वो भी मेरे बच्चे जैसा है.'
पूरे भारत समेत पाकिस्तान मे भी नीरज की मां के इस बयान पर लोगों ने बहुत सुंदर प्रतिक्रियाएं दी हैं. सोशल मीडिया पर भी उन्हें ढेरों बधाइयां मिल रही है, और कहीं न कहीं ये सराहना किसी भी खिलाड़ी को उसकी जीत में शहद लगाने का काम करती है.
2020 मे हुए टोक्यो ओलंपिक मे अरशद नदीम ने पांचवां स्थान पाया था, लेकिन इस बार उन्होंने सिर्फ गोल्ड मेडल ही नहीं जीता बल्कि उसके साथ एक नया कीर्तिमान भी बनाया है. अरशद ने फ़ाइनल मुकाबले मे 92.97 मीटर का थ्रो फेका था. इससे पहले ओलंपिक मे सबसे लंबा थ्रो फेंकने का रिकॉर्ड नॉर्वे के किल्डसेन एंड्रियास के नाम था. उन्होंने ये मुकाम बीजिंग ओलंपिक 2008 मे 90.57मीटर का थ्रो फेककर अपने नाम किया था.
संघर्षों से भरा रहा है अरशद का जीवन
अरशद नदीम पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के खानेवाल इलाके के रहने वाले हैं. वो एक बहुत ही सरल स्वभाव वाले व्यक्ति हैं, अरशद बचपन से ही खेल कूदों मे रुचि रखते थे. उनके पिता एक राजमिस्त्री का काम करते थे. खबरों कि मानें तो अभी अरशद के पास करीब 20 लाख की संपत्ति है. उनकी खेलों मे बढ़ती रुचि को देखते हुए उनके परिवार वालों ने भी अरशद को अपनी जिंदगी खेल में ही बनाने को कहा.
शुरुआती समय में आर्थिक तंगी के कारण उनके पास अपना भाला खरीदने तक के भी पैसे नहीं होते थे. उनके पास अपने गांव से जब बाहर किसी प्रतियोगिता के लिए भी जाना होता, तब भी पैसे नहीं होते थे. उस दौरान उनकी मदद उनके गांव वालों, रिश्तेदार और कुछ करीबी लोगों ने की.
अरशद के इस सफर मे उनके गांव का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है.जब उन्हें कहीं जाना होता, नया भाला लेना होता, हर वक़्त उनके गांव ने सामूहिक तरीके से उनकी आर्थिक मदद की. ध्यान रहे कि अरशद के पास काफी समय तक अभ्यास करने के लिए इंटरनेशनल लेवल का जैवलीन भी नहीं हुआ करता था.
बीते दिन उनके पिता ने पीटीआई से बात करते हुए कहा था कि अगर अरशद गोल्ड जीतते हैं तो हमारे साथ ये पूरे पाकिस्तान के लिए गौरव का पल होगा. अरशद के इस सफर में उनके पिता मोहम्मद अशरफ की एक बहुत बड़ी भूमिका रही है, उन्होंने अरशद की हर छोटी बड़ी जरूरत का खयाल रखा.
अरशद के खेल को एक नया रूप जब मिला जब उन्होंने स्पोर्ट्स कोटा के अंतर्गत पाकिस्तान वॉटर एंड पावर डेवलपमेंट अथॉरिटी के लिए ट्रायल्स दिये, उसी समय पाकिस्तान के मशहूर जैवलीन थ्रोअर सैयद हुसैन बुखारी की नज़र उनके खेल पर पड़ी. अरशद के खेल से बुखारी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अरशद का पूरा खेल ही बदल दिया.
इसके बाद अरशद ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और अपने शानदार खेल से परिवार और पाकिस्तान का नाम रौशन किया. अरशद नदीम पहले ऐसे एशियाई जैवलीन खिलाड़ी हैं जिन्होने 90 मीटर से ज्यादा का थ्रो किया है. गौरतलब है कि पेरिस ओलंपिक के लिए पाकिस्तान की तरफ से सिर्फ 7 एथलीटों ने भाग लिया था, और सबकी नजर अरशद नदीम पर थी, उन्होंने भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
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