जब भी भारत में जैवलिन थ्रो की बात होती है. तो हर किसी के जेहन में पहला नाम ‘गोल्डन ब्वॉय’ नीरज चोपड़ा का आता था. मगर इस समय एक नाम चर्चा में है. वो है नवदीप सिंह. पेरिस पैरालंपिक 2024 में नवदीप सिंह ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था.
नवदीप ने जी न्यूज के ‘रियल हीरोज अवॉर्ड्स’ में अपने सफर की पूरी कहानी सबके साथ साझा की है. उन्होंने बताया कि कैसे कुश्ती से करियर की शुरुआत करके नवदीप ने जैवलिन में गोल्ड पदक जीत लिया.
कुश्ती से शुरु किया खेल का सफर
नवदीप सिंह ने जी न्यूज के ‘रियल हीरोज अवॉर्ड्स’ में बताया कि मैंने अपने सफर की शुरुआत पहलवानी से की थी. जिसमें स्टेट लेवल पर चैंपियन भी रहे. लेकिन बैक इंजरी की वजह से मुझे कुश्ती छोड़नी पड़ी. एक दिन यूट्यूब पर मैंने देखा ‘पानीपत के लड़के ने तोड़ा विश्व रिकॉर्ड’ का आर्टिकल देखा.ये ‘गोल्डन ब्वॉय’ नीरज चोपड़ा का वीडियो था. जिन्होंने साल 2016 में जूनियर विश्व रिकॉर्ड बनाया था.
इसके बाद मैंने साल 2017 में पैरा जैवलिन थ्रो में हिस्सा लेने शुरु किया. नीरज भाई से प्रेरणा लेकर मैंने मेहनत शुरु की और उसका मुझे फल भी मिला.
कैसे हटाया लूजर का टैग
नवदीप सिंह से उनके गुस्से को लेकर भी सवाल पूछा गया. जिसका जवाब देते हुए नवदीप बोले कि मैं दो-तीन बार पैरा एशियन गेम्स, टोक्यो पैरालंपिक्स और पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में चौथे स्थान पर फिनिश किया था. जिसके बाद मुझे लूजर का टैग दे दिया गया. लेकिन मुझे पता था कि मैं खेल को बदल सकता है.
कमी मेरे ही भीतर है. इसलिए मैंने खुद पर काम करना शुरु किया. जिसका बाद वही सब लोग तालियां बजाएंगे. मैंने खुद का टारगेट सेट किया और अपने ऊपर से लूजर वाला टैग हटाया. इसके बाद उन सबने मेरी खूब तारीफ की जो एक समय पर मुझे लूजर कहते थे.
कद से बड़ा भाला
नवदीप सिंह ने जैवलिन की लंबाई को लेकर कहा कि सर आप सोच रहे हो कि बॉडी का भार लगता है. लेकिन मुझे दिक्कत होती थी. क्योंकि मैं छोटा था और वह जमीन में टच हो जाता था. वो सच में बहुत बड़ा था.
जिसके बाद मैंने अपनी टेक्निक बदली और कोच ने भी मुझे डांटा. लेकिन मैंने फिर भी मेहनत की और अपने खेल में सुधार किया. लगातार अभ्यास करने के बाद रिजल्ट ये आया कि भाला पीछे नहीं आगे टच होता है.
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कद छोटा है, पर काम बड़े, नवदीप ने खुद बताई अपनी कहानी कैसे बने 'जीरो से हीरो'