डीएनए हिंदी: भारत को एशियन गेम्स (Asian Games) में दो बार स्वर्ण पदक दिलाने वाले फुटबॉलर और ओलंपियन तुलसीदास बलराम (Tulsidas Balaram) का लंबी बीमारी के कारण गुरूवार को निधन हो गया. वह 1950 और 1960 के दशक में भारतीय फुटबॉल के स्टार खिलाड़ी थे. उनके साथ चुन्नी गोस्वामी और पीके बनर्जी जैसे दिग्गज खेलते थे, जिससे उन्हें ‘होली ट्रिनिटी’ (त्रिमूर्ति) के नाम से पुकारा जाता था. बलराम उत्तरपारा में हुगली नदी के किनारे एक फ्लैट में रहते थे. पिछले साल 26 दिसंबर को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 1962 के एशियाड चैंपियन का लंबे समय से इलाज चल रहा था.
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परिवार के एक करीबी सूत्र ने बताया, ‘‘उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और आज दोपहर करीब दो बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.’’ अर्जुन पुरस्कार विजेता बलराम का जन्म चार अक्टूबर 1936 को सिकंदराबाद में अम्मुगुडा गांव में हुआ था. उनके 1960 रोम ओलंपिक में प्रदर्शन को भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने हंगरी, फ्रांस और पेरू के साथ ‘ग्रुप ऑफ डेथ’ में शामिल भारत को पहले मैच में हंगरी से 1-2 से हार मिली थी लेकिन बलराम ने 79वें मिनट में गोल करके खुद का नाम इतिहास के पन्नों में शामिल कराया. पेरू के खिलाफ मैच में भी वह गोल करने में सफल रहे थे.
27 साल की उम्र में ही फुटबॉल को कहा अलविदा
जकार्ता एशियाई खेलों के फाइनल में भारत ने दक्षिण कोरिया को 2-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था. बलराम ज्यादातर ‘सेंटर फॉरवर्ड’ या ‘लेफ्ट विंगर’ के तौर पर खेलते थे. खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने 1963 में खेल से अलविदा होने का फैसला किया. उनका करियर 1955 और 1963 के बीच आठ साल का रहा क्योंकि 27 साल की उम्र में टीबी के कारण उन्हें करियर खत्म करना पड़ा था. बलराम ने अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण 1956 मेलबर्न ओलंपिक में यूगोस्लाविया के खिलाफ किया था. इस ओलंपिक में भारत चौथे स्थान पर रहा. उन्होंने देश के लिए 36 मैच खेले और 10 गोल किये जिसमें एशियाई खेलों के चार गोल भी शामिल थे.
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भारतीय टीम को 2 बार एशियन चैंपियन बनाने वाले तुलसीदास बलराम का निधन