डीएनए हिंदी: 1983 में खेले गए वर्ल्डकप में दुनिया ने उम्मीद भी नहीं की थी कि भारत वर्ल्डकप जीत जाएगा. आज 40 साल भारतीय क्रिकेट में बहुत कुछ बदल चुका है. टीम कैसे भी होती है अगर टूर्नामेंट में भाग ले रही होती है तो टीम इंडिया को दावेदारों में जरूर माना जाता है. हालांकि इस समय भारतीय क्रिकेट टीम एक बड़ी समस्या से जूझ रही है. टीम इंडिया को अभी तक नंबर 4 पर बल्लेबाजी के लिए कोई भरोसेमंद बल्लेबाज नहीं मिला है. श्रेयस अय्यर ने इस नंबर पर कई बेहतरीन पारियां खेली और खुद का स्थान पक्का किया लेकिन उनकी चोट ने टीम की समस्या को बढ़ा दिया. टीम इंडिया अब इस पोजीशन पर कई बल्लेबाजों को आजमा चुकी है लेकिन अभी तक कोई भरोसेमंद खिलाड़ी मिला नहीं है. वर्ल्डकप के इतिहास पर नजर डालें तो टीम इंडिया के 4 नंबर वाले बल्लेबाज ने जब भी अच्छा प्रदर्शन किया है. टीम का टूर्नामेंट अच्छा गया है.
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1983 वर्ल्डकप की ही बात की जाए तो यशपाल शर्मा ने सेमीफाइनल सहित कई मुकाबलों बेहतरीन पारियां खेली थी. उसके बाद भारत को वर्ल्डकप जीतने में 28 साल लग गए. 2011 में भी भारतीय टीम को वर्ल्डकप जीताने में युवराज सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा. उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा गया. युवराज सिंह ने वर्ल्डकप 2011 में कई कमाल की पारियां खेली थी. हालांकि इस नंबर पर 2003 में मोहम्मद कैफ, 2007 में सचिन तेंदुलकर, 2015 में अजिंक्य रहाणे और 2019 में ऋषभ पंत भी बल्लेबाजी कर चुके हैं. हालांकि इन खिलाड़ियों को भले ही ओवरऑल रिकॉर्ड अच्छा रहा हो लेकिन वर्ल्डकप में खिलाड़ी फ्लॉप रहे थे और भारत को हार का मुंह देखना पड़ा था.
कैफ और सचिन भी हो चुके हैं फ्लॉप
2003 वर्ल्डकप में भारतीय टीम में 4 नंबर पर मोहम्मद कैफ ने बल्लेबाजी की थी. कैफ से फाइनल में उम्मीद थी कि वह सचिन और गांगुली के आउट हो जाने के बाद पारी संभाले और बड़ा स्कोर करें. हालांकि उन्होंने उस मैच में खाता भी नहीं खोला और भारतीय टीम बुरी तरह से हार गई. 2007 वर्ल्डकप में भारतीय टीम का प्रदर्शन उससे भी खराब रहा. सचिन तेंदुलकर यहां 4 नंबर पर बल्लेबाजी करते नजर आए. जिनसे दुनिया के महान बल्लेबाज भी कांपते थे वह न बांग्लादेश के खिलाफ हार बचा पाए और न ही श्रीलंका के खिलाफ जरूरी जीत में योगदान दे पाए. नजीता ये रहा कि टीम इंडिया पहले दौर से ही बाहर हो गई.
2011 में युवराज ने बदल दी थी कहानी
2011 वर्ल्डकप में युवराज सिंह से नंबर 4 पर बल्लेबाजी कराई गई. वर्ल्डकप से पहले युवी कुछ खास फॉर्म में नहीं थे लेकिन चयनकर्ताओं को उनसे काफी उम्मीदे थीं. उन्होंने ऐसा किया भी और चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए भारत को कई मैच जिताए. उन्होंने इस टूर्नामेंट में शानदार गेंदबाजी भी की और भारत को खिताब दिलाया. उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज से नवाजा गया. 2015 वर्ल्डकप में इस नंबर पर अजिंक्या रहाणे को आजमाया गया लेकिन वह कुछ खास नहीं कर पाए और भारतीय टीम सेमीफाइनल से ही बाहर हो गई.
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2019 वर्ल्डकप में भी भारतीय टीम का सफर सेमीफाइल में समाप्त हुआ. इस बार नंबर 4 पर भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत को आजमाया गया. पंत ने कुछ मुकाबलों में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन कोई भी विश्वसनीय पारी नहीं खेल सके. सेमीफाइनल में 32 रन की पारी खेलने वाले पंत ने बांग्लादेश के खिलाफ 48 और इंग्लैंड के खिलाफ 31 रन की पारी खेली थी. अभी टीम इंडिया के पास श्रेयस अय्यर की गैरमौजूदगी में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें नंबर 4 पर आजमाया जा सकता है. संजू सैमसन, सूर्यकुमार यादव, तिलक वर्मा और केएल राहुल. हालांकि अगर अय्यर फिट हो जाते हैं और फॉर्म में रहते हैं तो उनका चौथा स्थान लगभग पक्का है.
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पिछले 5 ODI World Cup में सिर्फ एक बार मिला नंबर 4 का भरोसेमंद बल्लेबाज