डीएनए हिंदी: खशाबा दादा साहेब जाधव की आज 97वीं जयंती है. गूगल ने डूडल बनाकर भारत के इस दिग्गज पहलवान को याद किया है. केडी जाधव भारत की स्वतंत्रता के बाद ओलंपिक में पहला व्यक्तिगत पदक हासिल करने वाले भारतीय एथलीट थे. केडी जाधव का जन्म 15 जनवरी 1926 को हुआ था. कुश्ती के लिए जाने जाने वाले केडी जाधव ने हेलसिंकी में 1952 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. वह जब अखाड़े में उतरते थे तो दुनिया के बड़े-बड़े पहलवान डर जाते थे. उनकी अपनी एक अलग स्टाइल थी. जो भी उनकी पकड़ में आता, उसे चित्त होना पड़ता था.
केडी जाधव हट्टे-कट्ठे पहलवानों में कभी शुमार नहीं रहे हैं. उनका कद बेहद साधारण था. 5 फुट 5 इंच की हाइट वाले इस पहलवान के पास ऐसे दांव थे, जिसमें फंसकर लंबे कद-काठी वाले पहलवान पानी मांगते थे.
केडी जाधव टैक्टिकल फाइट में भरोसा रखते थे. उन्हें पता था कि ताकत नहीं, तकनीक से मैच जीते जाते हैं. यही वजह है कि बड़े से बड़ा पहलवान उनसे खौफ खाता था. जरा सी चूक पर वह पहलवानों को चित कर देते थे. आइए जानते हैं उनके बारे में.
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कहां और कब हुआ था केडी जाधव का जन्म?
केडी जाधव का जन्म 15 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के गोलेश्वर नामक गांव में हुआ था. वह एक प्रसिद्ध पहलवान दादासाहेब जाधव के पांच बेटों में सबसे छोटे थे.
अच्छे तैराक भी थे केडी जाधव
केडी जाधव एक अच्छे तैराक और धावक भी रहे हैं. उन्होंने खिलाड़ी के तौर पर खुद को स्थापित किया था. केडी जाधव ने अपने पिता के साथ पहलवान के रूप में अपना प्रशिक्षण तब शुरू किया जब वह केवल 10 वर्ष के थे.
क्या थी केडी जाधव की खासियत?
केडी जाधव रेसलिंग के हर फन से वाकिफ थे. वह अपने प्रतिद्वंद्वी को उठाकर जमीन पर फेंकते थे. उनकी हेड लॉकिंग स्टाइल बेहद शानदार थी.
पहले ओलंपिक में कैसा था मैच?
अपने पहले ओलंपिक में उन्हें उस समय के सर्वश्रेष्ठ और सबसे अनुभवी फ्लाइवेट पहलवान के खिलाफ खड़ा किया गया था. इंटरनेशनल फॉर्मेट में नए होने के बावजूद केडी जाधव ने छठा स्थान हासिल किया था. भारत में उस वक्त तक कोई ऐसा नहीं कर सका था.
कभी नहीं मिला पद्म पुरस्कार
आमतौर पर जो भी ओलंपियन होते हैं उन पर पदकों की बारिश की जाती है. वह एकमात्र भारतीय ओलंपिक पदक विजेता हैं जिन्हें कभी पद्म पुरस्कार नहीं मिला.
इस वजह से पहलवानों को लगता था उनसे डर
केडी जाधव बेहद फुर्तीले थे. पिच पर उनके पांव ऐसे भागते थे, जिन्हें पकड़ना बेहद मुश्किल था. वह अपने वक्त के पहलवानों से बेहतर तकनीक जानते थे.
और इस वजह से चूक गया था गोल्ड
केडी जाधव कांस्य जीतने के बाद स्वर्ण पदक जीतने के लिए कमर कस रहे थे लेकिन ओलंपिक से ठीक पहले वह चोटिल हो गए थे. उनका घुटना ऐसे टूटा था जिसके बाद उनका करियर खत्म हो गया था. खेल से रिटायर होने के बाद वह पुलिस अधिकारी के तौर पर सेवाएं दे रहे थे.
निधन के 2 दशक बाद मिला पुरस्कार
14 अगस्त 1984 को उनका निधन हो गया था. कुश्ती में उनके योगदान के लिए केडी जाधव को 2000 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
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