जेवलिन थ्रो के इवेंट में 92.97 मीटर का शानदार थ्रो लगाकर पाकिस्तान के अरशद नदीम ने नया ओलंपिक रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. अरशद नदीम से पहले ये रिकॉर्ड एंड्रियास थोरकिल्डसेन के नाम दर्ज था. एंड्रियास की तरफ से ये रिकॉर्ड 2008 के बीजिंग ओलंपिक के दौरान बनाया गया था. उस वक्त उन्होंने 90.57 मीटर का थ्रो फेंका था. इस बार के इवेंट में जहां गोल्ड अरशद के खाते में गया, वहीं भारतीय जांबाज थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने 89.45 मीटर जेवलिन फेंक कर सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया. पिछले ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जीतकर भारत का नाम रोशन किया था. अरशद की बात करें तो वो ओलंपिक के अलावा 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी 90 मीटर से ज्यादा का थ्रो फेंक कर गोल्ड जीत चुके हैं. उनका जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा है. आइए उनसे प्रेरणादायक सफर पर एक नजर डालते हैं.
उधार के भाले से की ट्रेनिंग
अरशद नदीम की पैदाइश एक बेहद गरीब परिवार में हुई थी. उनका जीवन ओलंपिक के पोडियम तक पहुंचने के लिए बेहद की संघर्षशील रहा है. अरशद का परिवार पाकिस्तानी पंजाब के खानेवाल जिले में मौजूद मियां चन्नू गांव रहने वाला है. उनके पिता एक गरीब किसान थे. साथ ही वो अपने परिवार को चलाने के लिए वो मजदूरी भी करते थे. नदीम की मां एक हाउस वाइफ हैं. पैसे के अभाव में अरशद को बचपन में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. अरशद बचपन से क्रिकेट के बड़े शौकीन थे. वो गांव और कस्बे के स्तर पर एक तेज गेंदबाज के तौर पर क्रिकेट खेलते थे. उनका शुरुआती सपना क्रिकेटर बनना ही था. अरशद को कम उम्र से ही भाला फेंकने में बेहद दिलचस्पी थी. धीरे-धीर उनकी इस दिलचस्पी ने आकार लेना शुरू किया, और वो गांव स्तर के भाला फेंक प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगे. वहां मिलने वाली सफलताओं से उन्हें इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का हौसला मिला. इस दौरान अरशद को हर कदम पर दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उनके पास जेवलिन खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे. उन्हें अक्सर अपने दोस्तों से जेवलिन मांगकर मैदान में उतरना पड़ता था. साथ ही पैसे के अभाव में वो किसी अच्छे ट्रेनर के पास ट्रेनिंग के लिए दाखिला नहीं ले पाए थे. वो ज्यादातर समय खुद से ही ट्रेनिगं किया करते थे.
2018 में जीता था पहला बड़ा मेडल
अरशद बड़ी हिम्मत जुटाकर आगे की ट्रेनिंग के लिए अपने गांव से लाहौर के लिए रवाना हो गए. वहां उन्होंने जेवलिन थ्रो के कोच सलमान बट के पास ट्रेनिंग की. इसके साथ ही उन्हें टेर्सियस लिबेनबर्ग के साथ दो महीने ट्रेनिंग करने का अवसर प्राप्त हुआ. यही वो मौका था, जिसकी वजह से उनके भीतर अत्मविश्वास आया. अरशद अपने कोच बट के साथ अपनी तैयारियों के लिए दिन-रात लगे रहते थे. 2021 में हुए टोक्यो ओलिंपिक में उन्हें 5वां स्थान हासिल हुआ, जहां निरज चोपड़ा को गोल्ड मेडल मिला था. हालांकि उन्होंने उस दौरान सुर्खियां खूब बटोरी थी. लेकिन बावजूद इसके उस समय तक उनके खाते में गोल्ड जैसी कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं थी. हालांकि दुनिया की नजर में 2018 में आए थे. उस दौरान उन्होंने एशियाई खेलों में ब्राउंज मेडल जीता था. इस दैरान उनके पास अपना कोई कोच भी नहीं हुआ करता था.
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Arshad Nadeem: संघर्षों के ज्वालामुखी में तपकर सोने की तरह चमका अरशद, कायम किया ओलंपिक का नया रिकॉर्ड