डीएनए हिंदी: बीसीसीआई की ओर से कथित तौर पर टीम इंडिया को सिर्फ हलाल मीट का डाइट प्लान सुर्खियों में बना हुआ है. भले ही इस मामले पर बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने भले ही ये बयान दिया हो कि बोर्ड की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है लेकिन इसके बावजूद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.
उनका कहना है कि भोजन का विकल्प हमेशा व्यक्ति की पसंद के अनुसार रहता है. डाइट प्लान पर कभी चर्चा नहीं हुई और इसे लागू नहीं किया जाएगा. जहां तक मुझे पता है, हमने कभी भी डाइट प्लान से संबंधित कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया है. जहां तक खाने की आदतों का सवाल है, यह खिलाड़ियों की व्यक्तिगत पसंद है, इसमें बीसीसीआई की कोई भूमिका नहीं है.
फिर कौन तय करता है डाइट प्लान?
अब सवाल उठता है कि आखिर क्रिकेटर्स का डाइट प्लान कौन तय करता है? दरअसल, क्रिकेटर्स का डाइट प्लान सहयोगी स्टाफ, चिकित्सा दल में शामिल डाइटीशियन और न्यूट्रीशनिस्ट तय करते हैं. खिलाड़ी को उसके बॉडी की डिमांड के अनुसार ये डाइट प्लान दिए जाते हैं. ड्रेसिंग रूम में कॉमन डाइट भी शेयर की जा सकती है लेकिन इसमें न्यूट्रीशन की मात्रा प्रॉपर होनी चाहिए. हालांकि बोर्ड ने हलाल मीट परोसने की सिफारिश क्यों की, इस बारे में कोई अधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
हालांकि कई पूर्व क्रिकेटर्स का कहना है कि सूअर और गौमांस कभी डाइट प्लान में शामिल नहीं किया गया, इस बारे में कभी लिखित निर्देश भी नहीं दिए गए. ड्रेसिंग रूम में कभी भी गौमांस या सूअर का मांस नहीं भेजा जाता. क्रिकेटर्स को अक्सर कम प्रोटीनयुक्त भोजन करने की सलाह दी जाती है.
पूर्व क्रिकेटर पंकज सिंह ने डीएनए हिंदी से कहा, हमारे समय में बीसीसीआई ने सीधे तौर पर कभी डाइट प्लान शेयर नहीं किया. डाइट प्लान टीम से जुड़े डाइटीशियन, फिटनेस ट्रेनर या न्यूट्रीशनिस्ट द्वारा साझा किए जाते हैं.
ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों को क्या परोसा जाएगा और क्या नहीं, इसमें बोर्ड की भूमिका नहीं है. डाइट प्लान में मौसम की परिस्थिति का भी ध्यान रखा जाता है. ये खिलाड़ी की बॉडी की जरूरत के अनुसार अलग भी हो सकता है. अक्सर खिलाड़ियों को ऐसा फूड दिया जाता है, जो लो फैट हो. अधिकतर फिटनेस रेडी फूड ही दिए जाते हैं. झटका या हलाल को लेकर जहां तक बात है, ये कभी विवाद का विषय नहीं रहा.
क्या है हलाल और झटका में अंतर
दरअसल, हलाल और झटका मीट में अंतर इसे काटने को लेकर है. कई धर्मों में हलाल मांस खाने की मनाही है, तो वहीं कुछ में झटका मीट इस्तेमाल नहीं होता. अक्सर सिख हलाल नहीं खाते. जबकि इस्लामिक देशों में हलाल वाला मांस पॉपुलर है. हलाल में जानवर के गले की नस को काटकर छोड़ दिया जाता है, वहीं झटका में एक ही बार में गर्दन पर तेज धारदार हथियार से वार किया जाता है.
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