डीएनए हिंदी: (Yogini Ekadashi 2023) आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. इसकी शुरुआत 13 जून को सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर होगी. इसका समापन अगले दिन 14 जून बुधवार सुबह 8 बजकर 48 मिनट तक रहेगी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, एकादशी का व्रत करने से ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की अराधना करने पर श्राप का निवारण भी हो जाता है.
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इसलिए मनाई जाती योगिनी एकादशी और महत्व
योगिनी एकादशी का व्रत तीनों लोक में प्रसिद्ध है. एकादशी का व्रत हजारों पंडितों को भोजन करने के बराबर होता है. कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों को योगिनी एकादशी व्रत का लाभ मिलता है. इस व्रत के प्रभाव से यह रोग जल्द ही ठीक हो जाता है. साथ ही घर में सुख समृद्धि का वास होता है. श्रीहरि की कृपा मिलती है. योगिनी एकादशी के दिन लाल रंग के आसन के चारों कोनो पर एकमुखी दीपक जला दें. इसके बाद आसन पर बैठकर संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करें. यह उपाय करने से जल्द ही नौकरी के योग बनते हैं.
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व्रत में योगिनी एकादशी की पौराणिक कथा
योगिनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो इस दिन पौराणिक कथा जरूर सुननी चाहिए. बताया जाता है कि प्राचीन काल में अलकापुरी नगर में राजा कुबेर के यहां हेम नाम का माली रहता था. वह प्रति दिन भगवान शंकर की पूजा करता था. इसके लिए मानसरोवर से फूल लाते थे. एक एक दिन वह स्वछंद विहार करने चला गया, जिसकी वजह से उन्हें फूल लाने में देरी हो गई. इसे राजा कुबेर नाराज हो गए और माली को कोढ़ी होने का श्राप दे दिया. राजा के श्राप से माली काफी समय तक भटकता रहा. वह एक दिन दैवयोग से मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा. यहां ऋषि ने माली के दुख का कारण जानकर उसे योगिनी एकादशी पर व्रत करने के लिए कहा. व्रत करते ही हेम माली का कोढ़ खत्म होगा और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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पापों से मुक्ति दिला देती है योगिनी एकादशी, जानें इस व्रत की तारीख-महत्व और पौराणिक कथा