वैदिक पंचांग के अनुसार इसमें विशेष रूप से देवी अन्नपूर्णा की पूजा का प्रावधान है. मान्यता है कि इस दिन भक्त अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं. उसके घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती और सुख-समृद्धि में भी वृद्धि होती है. मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा देवी की पूजा और व्रत किया जाता है. मां अन्नपूर्णा की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इस वर्ष मां अन्नपूर्णा जयंती कब है और इस दिन पूजा करने का शुभ समय क्या है और मां अन्नपूर्णा की पूजा का क्या महत्व है. आइए जानें

अन्नपूर्णा जयंती कब है?
वैदिक कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर शनिवार को शाम 4.58 बजे शुरू होती है और अगले दिन रविवार, 15 दिसंबर को दोपहर 2.31 बजे समाप्त होती है. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर 15 दिसंबर, रविवार को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी.

अन्नपूर्णा जयंती पर देवी की पूजा का शुभ समय क्या है?
अन्नपूर्णा जयंती के दिन शुभ मुहूर्त के अनुसार देवी की पूजा करनी चाहिए. इसकी सहायता से उत्तम फल की प्राप्ति होती है और जीवन में कभी भी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है. दोपहर 12 बजे से 12.43 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में माता अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है. माता अन्नपूर्णा की पूजा अमृत काल में शाम 06:05 बजे से शाम 07:35 बजे तक है. ब्रह्म मुहूर्त में माता अन्नपूर्णा पूजा सुबह 05 बजकर 29 मिनट से 06 बजकर 17 मिनट तक है.

अन्नपूर्णा जयंती के दिन पूजा का महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के पावन पर्व पर हम अन्नपूर्णा जयंती मनाते हैं. इस दिन हम अन्न और धन की देवी अन्नपूर्णा देवी की पूजा करते हैं. हम उनका आशीर्वाद पाने के लिए व्रत और पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि माता अन्नपूर्णा की कृपा से घर में हमेशा अन्न और धन की बरकत बनी रहती है. इस दिन हम मां से हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं.

अन्नपूर्णा जयंती पर मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने का महत्व
सनातन धर्म में किसी भी अनुष्ठान या पूजा के दौरान मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इतना ही नहीं, देवी-देवताओं को मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद भी चढ़ाया जाता है. ज्योतिष शास्त्र में मिट्टी के बर्तन को शुभता का सूचक माना जाता है और बुध के साथ-साथ चंद्रमा को भी सौभाग्य का सूचक माना जाता है. कहा जाता है कि अगर मिट्टी के बर्तन में खाना बनाकर अन्नपूर्णा माता को अर्पित किया जाए तो माता बहुत प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं.

अन्नपूर्णा जयंती पर किसी भी प्रकार का शुद्ध और शाकाहारी भोजन बनाएं और मां अन्नपूर्णा को इसका विशेष भोग लगाएं. ऐसा करने से घर का अन्न भंडार कभी खाली नहीं रहता और व्यक्ति को अच्छे फल भी मिलते हैं. इसके अलावा अगर आप माता अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं तो माता पार्वती की भी विधिवत पूजा करें. इससे व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि हो सकती है और व्यक्ति के धन में भी वृद्धि हो सकती है.

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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Worship Maa Annapurna at this time in the afternoon today? Know what is the most auspicious time of the birth anniversary of the Goddess
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आज दोपहर में इस समय करें मां अन्नपूर्णा की पूजा?
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आज दोपहर में इस समय करें मां अन्नपूर्णा की पूजा? जान लें देवी की जयंती का शुभ मुहूर्त और महत्व

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