डीएनए हिंदी: हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा-अर्चना के नियम लगभग एक होते है. लेकिन भगवान शिव की पूजा कुछ अलग होती है. भगवान शिव की मूर्ति और शिवलिंग की पूजा तक के नियम अलग-अलग हैं. इसी तरह कभी आपने सोचा है कि सभी भगवान के नाम के आगे श्री जरूर लगता है, जैसे- श्रीराम, श्रीकृष्ण आदि लेकिन शिवजी के नाम के आगे श्री क्यों नहीं लगता है.
चलिए आज आपको बताएं कि श्री नाम का प्रयोग शिवजी के नाम में क्यों नहीं होता है.
1. हिन्दू धर्म के अनुसार श्री मां लक्ष्मी का ही एक नाम है श्री का अर्थ है लक्ष्मी. विष्णु भगवान के साथ में लक्ष्मी मां की आराधना करते हैं इसलिए भगवान विष्णु के आगे श्री लगाने से मां लक्ष्मी की भी उपस्थिति हो जाती है.
2. इसी प्रकार श्री राम तथा श्री कृष्ण भी भगवान विष्णु के ही अवतार कहे जाते हैं और सभी अवतारों मां लक्ष्मी भी भगवान विष्णु के साथ अवतरित हुई हैं जिस प्रकार सीता और राम, रुक्मणि और श्याम.
3. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यदि राधा रानी के नाम से पहले श्री का उपयोग करते है तो श्री राधे कहा जाए तो राधा रानी के साथ कृष्ण का भी स्मरण हो जाता है इन्हीं कारणों से कृष्ण तथा राम जी के आगे श्री लगाते हैं.
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4. हमारी हिन्दू पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी ने भी सदैव ही पृथ्वी पर अवतार लिया है किन्तु ज्यादा लोग सिर्फ राम जी व कृष्ण जी के साथ वाले लक्ष्मी मां को ही जानते है.
5. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विष्णु भगवान के नृसिंह अवतार के संग नरसिंही मां, वराह अवतार के संग मां वाराही, परशुराम के संग मां धारिणी तथा वामन अवतार के संग मां पद्मा के रूप में माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी पर अवतरित हुई.
6. भगवान विष्णु अथवा उनके किसी अवतार के आगे श्री का उपयोग करने का अर्थ होता है दोनों को एक मानकर उनकी आराधना तथा स्मरण करना.
7. श्री का अर्थ होता है लक्ष्मी और लक्ष्मी भगवान विष्णु कीअर्धांगिनी हैं. ऐसे में शिव जी नाम के आगे श्री नहीं लगता है.
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8. जिस प्रकार भगवान विष्णु के आगे श्री लगाते हैं उसी प्रकार अर्धनारेश्वर स्वरूप तथा गौरीशंकर का उच्चारण भी माता पार्वती और शिव जी के एकसाथ आराधना और स्मरण करने के लिए किया जाता है .
हर हर महादेव' का क्यों किया जाता है उद्दघोष, जानें क्या होता है इसका मतलब
हर-हर महादेव ये एक मंत्र हैं जिसके जयकारे लगाते ही मन, बुद्धि, विचार, वाणी और कर्म के सभी दोष मिट जाते हैं. सबसे पहले हर-हर महादेव के जयकारा का उल्लेख हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में पाया गया हैं.
हर-हर महादेव के मंत्र का एक अर्थ ये भी हैं कि आप परम चेतना को प्राप्त करने के लिए अपने सभी दोषों को समाप्त कर देते हैं. हर-हर महादेव के अर्थ की बात की जाए तो इसका पहला शब्द जिसे हर कहा जाता हैं वास्तव में संस्कृत का एक शब्द हारा हैं जिसका अर्थ होता हैं लगातर लेना, इसलिए भगवान शिव के नाम महादेव को बार-बार लेते हुए हर-हर महादेव कहा जाता हैं.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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महादेव के नाम के आगे जानिए क्यों नहीं लगाते 'श्री', 'हर हर महादेव' का ही क्यों होता है उद्दघोष