डीएनए हिंदी: महाभारत (Mahabharat) में कई ऐसे किस्से हैं जिनके बारे में कम लोग ही जानते हैं. इनमें से एक किस्सा ऐसा भी है जो शायद आपको हैरान कर सकता है. यह बात पांडवों से जुड़ी हुई हैं. ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने अपने पिता की मृत्यु के बाद उनका मांस खाया था.
पांडु के पांच पुत्र थे. युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव. इनमें से युधिष्ठर, भीम, अर्जुन की माता कुंती और नकुल, सहदेव की माता माद्री थी.
मान्यताओं के अनुसार, पांडु को एक ऋषि द्वारा श्राप मिला था कि अगर वह किसी भी स्त्री से शारीरिक संबंध बनाएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी. इसी के चलते उन्होंने कभी भी अपनी पत्नी कुंती और माद्री से शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे. वहीं कुंती को ऋषि दुर्वासा ने वरदान दिया था कि वो किसी भी देवता का आह्वान करके संतान प्राप्ति का वरदान मांग सकती हैं. ऐसा करने पर उन्हें संतान की प्राप्ति हुई. इसी प्रकार माद्री ने भी देवताओं का आह्वान किया और उन्हें भी संतान की प्राप्ति हुई.
इधर, पांडु एक दिन खुद पर नियंत्रण नहीं रख सके और उन्होंने माद्री से शारीरिक संबंध बना लिए. ऐसे में ऋषि के शाप के चलते उनकी मृत्यु हो गई. मौत के बाद उनका दाह संस्कार नहीं किया गया बल्कि पांचों भाइयों ने मिलकर अपने मृत पिता के शरीर का मांस खाया. उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योकिं स्वयं पांडु की ऐसी इच्छा थी.
चूंकि पांचों पांडव उनके वीर्य से पैदा नहीं हुए थे इसलिए पांडु का ज्ञान और कौशल उनके बच्चों में नहीं आ पाया था. इसी के चलते उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले ऐसा वरदान मांगा था कि यदि उनके बच्चे उनकी मृत्यु के पश्चात उसके शरीर का मांस मिल-बांट कर खा लें तो उनका ज्ञान उनके बच्चों में चला जाए.
कहा तो यह भी जाता है कि पांचों भाइयों में से सबसे ज्यादा सहदेव ने अपने पिता का मांस खाया था. पिता की इच्छा का पालन करते हुए सहदेव ने पांडु के मस्तिष्क के तीन हिस्से खाए. पहले टुकड़े को खाते ही सहदेव को इतिहास का ज्ञान हुआ, दूसरे टुकड़े को खाने पर वर्तमान का और तीसरे टुकड़े को खाते ही भविष्य का. यही कारण था की सहदेव पांचो भाइयों में सबसे अधिक ज्ञानी थे और इससे उन्हें भविष्य में होने वाली घटनाओं को देखने की शक्ति भी मिल गई थी.
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