शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हिंदू चंद्र माह अश्विन की पूर्णिमा की रात को मनाया जाता है. शरद पूर्णिमा को 'हार्वेस्ट मून' के नाम से भी जाना जाता है, 

पूर्णिमा तिथि और समय

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 16 अक्टूबर 2024 को रात्रि 8:40 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर 2024 को शाम 4:55 बजे
चंद्रोदय: 16 अक्टूबर 2024 को शाम 5:13 बजे

इस वर्ष, 'हार्वेस्ट मून' 16 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा) उस दिन रात 8:40 बजे शुरू होगी और 17 अक्टूबर को शाम 4:55 बजे समाप्त होगी. शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय 16 अक्टूबर को शाम 5:13 बजे होने की उम्मीद है.

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा एक फसल उत्सव है जो मानसून ऋतु के अंत का प्रतीक है और यह देवी लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की पूजा से जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि इस रात चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं के साथ चमकता है, जो पूर्णता और समृद्धि का प्रतीक है.

शरद पूर्णिमा अनुष्ठान और प्रथाएं

शरद पूर्णिमा: इसमें विशेष अनुष्ठान शामिल हैं जैसे खीर (चावल की खीर) तैयार करना और इसके लाभकारी गुणों को अवशोषित करने के लिए इसे चांदनी में रखना. भक्त अक्सर उपवास करते हैं और देवी लक्ष्मी से आशीर्वाद पाने के लिए रात भर जागते हैं. 

भोजन को चांदनी में रखने की परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या हैं?
 
शरद पूर्णिमा के दौरान चांदनी में भोजन, खास तौर पर खीर (चावल की खीर) रखने की परंपरा का सांस्कृतिक महत्व और वैज्ञानिक तर्क दोनों है. इस प्रथा के वैज्ञानिक आधार के बारे में मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

चांदनी के उपचारात्मक गुण:

ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा विशेष उपचारात्मक तरंगें उत्सर्जित करता है, जब वह पृथ्वी के सबसे करीब होता है. माना जाता है कि ये तरंगें चांदनी में रखे भोजन की पौष्टिक गुणवत्ता को बढ़ाती हैं, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद हो जाता है.

पोषण गुण:
चांदनी का ठंडा प्रभाव भोजन के पौष्टिक गुणों को बढ़ा सकता है. माना जाता है कि चांदनी में खीर रखने से उसमें अतिरिक्त पौष्टिक गुण आ जाते हैं, जो स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं.

जैव रासायनिक प्रतिक्रियाएं:

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ खाद्य पदार्थों के साथ चांदनी की परस्पर क्रिया लाभकारी जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा दे सकती है. उदाहरण के लिए, दूध में मौजूद लैक्टिक एसिड चांदनी के संपर्क में आने पर लाभकारी बैक्टीरिया को बढ़ा सकता है, जिससे पाचन स्वास्थ्य और समग्र स्वास्थ्य में संभावित रूप से सुधार हो सकता है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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when is Sharad Purnima 16 or 17 October? which night Kheer kept under moonlight in Purnima
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16 या 17 अक्टूबर कब है शरद पूर्णिमा, चांद की रौशनी से कब गिरेगा खीर में अमृत
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किस दिन है शरद पूर्णिमा

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16 या 17 अक्टूबर कब है शरद पूर्णिमा, किस रात चांद की रौशनी से गिरेगा खीर में अमृत?

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