सूर्य ग्रहण का ज्योतिष, विज्ञान और धर्म तीनों ही दृष्टियों से विशेष महत्व है. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण शुभ नहीं माने जाते हैं. ग्रहण के दौरान खाना-पीना और शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को लगने वाला है. इसे भारत में देखा जा सकेगा. तो यह सूतक काल माना जाएगा.
कब लगता है सूतक काल
सूतक सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू होता है.इस समय को अशुभ माना जाता है. और इस दौरान क्या करें, क्या नहीं जान लें.
क्या करें और क्या न करें
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को लगने वाला है. माना जा रहा है कि यह सूर्य ग्रहण रात 9:13 बजे शुरू होगा और 3 अक्टूबर को सुबह 3:17 बजे खत्म होगा. जानिए सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें.
दान करें
हिंदू धर्म में दान को बहुत महत्व दिया गया है. इसलिए सूर्य ग्रहण के दौरान दान करना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
मंत्रोच्चारण
सूर्य ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं. ग्रहण के दौरान पूरे मन से भगवान की पूजा करनी चाहिए.
स्नान जरूर करें
सूर्य ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए. ग्रहण से पहले और बाद में स्नान करें.
कोई अच्छे कार्य न करें
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है इसलिए इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.
खाना न पकाएं और न ही खाएं
सूर्य ग्रहण के दौरान किसी को भी भोजन नहीं पकाना चाहिए और न ही काटना या छीलना चाहिए. सूर्य ग्रहण के दौरान खाना खाने से भी बचें. सूर्य ग्रहण के दौरान बाहर जाने से बचें.
प्रेग्नेंट औरत रखें इन बातों का ध्यान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर ही पड़ता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल के दौरान घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जाती है. सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को नुकीली या धारदार वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अच्छी किताबें पढ़ सकते हैं और भगवान की आराधना कर सकते हैं. ग्रहण के दौरान सुई निकालना वर्जित है.
वैज्ञानिक कारण
जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है, तो चंद्रमा के पीछे सूर्य की छवि अस्थायी रूप से धुंधली हो जाती है. जिसके कारण कुछ क्षणों के लिए सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक ठीक से नहीं पहुंच पाता और अंधेरा छा जाता है. इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है.
धार्मिक कारणों से
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान राहु सूर्य को निगल जाता है. कहा जाता है कि इस दौरान सूर्य संकट में होता है और ग्रहण लगता है. परंतु राहु का धड़ न होने के कारण सूर्य कुछ ही समय में अपनी पूर्व स्थिति में आ जाता है. सूर्य के अपनी मूल स्थिति में लौटते ही ग्रहण समाप्त हो जाता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.
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2 अक्टूबर को लग रहा सूर्य ग्रहण, जानिए सूतक काल के दौरान क्या करें और क्या न करें?