Khar Maas And Mal Maas Difference: हिंदू धर्म में जब भी हम तिथि से लेकर त्योहार की बात करते हैं तो इसमें खरमास और मलमास का जिक्र किया जाता है. ज्यादातर लोग इन्हें एक ही समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. खरमास और मलमास दोनों ही अलग हैं. जहां खरमास साल में 2 बार आते हैं. वहीं मलमास 3 साल में एक बार आते हैं. आइए जानते हैं खरमास और मलमास में क्या अंतर होता है.
जानें क्या है खरमास और कब कब आता है
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य एक राशि में 30 दिन तक रहता है. सूर्य जब 12 राशियों का एक चक्र पूरा कर लेता है. उसे एक सौर वर्ष कहते हैं. यह समय 365 दिनों का होता है. जब भी सूर्य गुरु के स्वामित्व की राशि धनु और मीन में प्रवेश करता है तो इसे खर मास कहते हैं. यह स्थिति साल में 2 बार बनती है. पहली खर मास में मार्च से अप्रैल के बीच और दूसरी दिसंबर से जनवरी के बीच होती है. इसबीच कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. जैसे शादी से लेकर गृह प्रवेश या फिर कोई भी दूसरे मांगलिक कार्य.
जानें क्या है मलमास और कब आता है
मलमास का ज्योतिषीय महत्व है. मलमास को तीन साल में एक बार आता है. इसे ही अधिकमास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. इस महीने में भी कोई शुभ कार्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. इस महीने के स्वामी स्वयं भगवान विष्णु होते हैं. इसलिए इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है. इसमें सत्यनारायण की कथा से लेकर विष्णु भगवान पूजा अर्चना करने पर उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
क्यों 3 साल में ही एक बार आता है मलमास
दरअसल चंद्रमा को पृथ्वी के 12 चक्कर लगाने में 355 दिन का समय लगता है. पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन का समय लगता है. इस तरह हर साल चंद्र वर्ष और सूर्य वर्ष में 10 दिनों का अंतर आ जाता है. इसी अंतर को दूर करने के लिए अधिक मास की व्यवस्था की गई है. अधिक मास की व्यवस्था होने के कारण ही सभी हिंदू व्रत-त्योहार निश्चित ऋतुओं में मनाए जाते हैं. अगर ऐसा न हो तो सभी त्योहारों के ऋतु समय में अंतर आ सकता है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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खरमास और मलमास में क्या होता है अंतर, जानें कब कब आते हैं ये मास