Vivah Muhurat 2024: 03 जून को बृहस्पति उदय हो चुका है और 7 जुलाई को शुक्र उदय होने के बाद विवाह समारोह का आयोजन किया जा सकता है. विवाह मुहूर्त 09 जुलाई से शुरू होंगे और 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होने के बाद कोई मुहूर्त नहीं रहेगा.
चतुर्मास समाप्त होने के बाद नवंबर के दूसरे सप्ताह से फिर से विवाह का मौसम आएगा, ज्योतिषियों के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में शुक्र और बृहस्पति के अस्त होने के कारण विवाह समारोह का आयोजन नहीं किया जा सकेगा. सनातन रीति में विवाह के समय गुरु और शुक्र को भी अस्त माना जा सकता है. ऐसे में विवाह के समय दोनों ग्रहों का उदय होना आवश्यक है.
जुलाई में 8 दिन विवाह समारोह
इस साल जुलाई में कुल आठ तिथियों में विवाह समारोह हो सकते हैं. जिसमें 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15 और 16 जुलाई को शादी की तारीखें हैं. 17 जुलाई को चातुर्मास शुरू होने से अगले चार महीने तक शादियां नहीं हो सकेंगी. फिर 12 नवंबर से देवउठि एकादशी के बाद विवाह मुहूर्त शुरू होंगे. बृहस्पति और शुक्र ग्रह के उदय होते ही विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनोई संस्कार आदि शुरू हो जाएंगे. इस बार 9 से 16 जुलाई तक का समय विवाह और शुभ कार्यों के लिए अच्छा है.
17 जुलाई को देवशयनी एकादशी
17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है और इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं, जो चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक है. चातुर्मास शुरू होने के साथ ही शुभ और मांगलिक कार्यक्रमों पर फिर से चार महीने का ब्रेक लग जाएगा. लेकिन हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, राजस्थान में चातुर्मास के दौरान विवाह आदि किये जाते हैं. इसके लिए विवाह मुहूर्त के लिए ज्योतिष की सलाह लें. फिर 12 नवंबर को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी से विवाह मुहूर्त दोबारा शुरू होगा और 14 दिसंबर तक रहेगा.
बृहस्पति और शुक्र का उदय
जब भी कोई ग्रह सूर्य के निकट आता है तो उसकी शक्तियां कम हो जाती हैं और चमक फीकी पड़ जाती है. ग्रह की इस स्थिति को झुकाव कहा जाता है. जब कोई ग्रह सूर्य से दूर चला जाता है तो उस ग्रह की ऊर्जाएं वापस लौट आती हैं और आकाश में दिखाई देती हैं. ग्रह की इस अवस्था को उदय कहा जाता है. बृहस्पति 3 जून को पूर्व में उदय हो चुका है और शुक्र 7 जुलाई को पश्चिम में उदय होगा.
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए बृहस्पति और शुक्र जिम्मेदार
बृहस्पति वधू के लिए सुख का कारक है और शुक्र पति का कारक है, इसलिए विवाह के लिए बृहस्पति और शुक्र का उदय होना आवश्यक है. ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को वैवाहिक जीवन का कारक ग्रह माना गया है, जबकि शुक्र को वैवाहिक जीवन का कारक ग्रह माना गया है. अत: इन दोनों ग्रहों के अस्त होने से विवाह का समय नहीं आता. शुभ विवाह के लिए उदय होने वाले दोनों ग्रह शास्त्र सम्मत माने गए हैं. बृहस्पति और शुक्र शुभ ग्रह माने जाते हैं और ये ग्रह वैवाहिक जीवन के लिए उत्तरदायी होते हैं. कुंडली में गुरु और शुक्र की स्थिति मजबूत होने से पार्टनर के साथ तालमेल बना रहता है और एक-दूसरे को समझकर सारे काम करते हैं.
विवाह मुहूर्त
जुलाई- 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16
नवंबर- 12, 17, 18, 23, 25, 27, 28
दिसंबर- 2, 3, 4, 6, 7, 10, 11, 14
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