डीएनए हिंदी: एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है. एकादशी (Ekadashi Vrat 2023) पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. साल भर में कुल 24 एकादशी तिथि (Ekadashi Vrat 2023) होती है. इन सभी तिथियों का अपना-अपना महत्व होता है. अब वैशाख माह की कृष्ण पक्ष एकादशी (Varuthini Ekadashi 2023) आने वाली है. इस एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2023) कहते हैं.
वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2023) पर भगवान विष्णु की वराह भगवान के रूप में पूजा की जाती है. इस दिन पूजा करने से अन्नदान और कन्यादान करने के समान पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. यह व्रत करने से शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है. वरुथिनी एकादशी पर व्रती को संयम करना चाहिए. अन्यथा उसका तप, त्याग, पूजा-भक्ति सब व्यर्थ जाती है. इस दिन कथा न सुनने से भी व्रत पूरा नहीं होता है. तो चलिए वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2023) की सही तिथि व कथा के बारे में जानते हैं.
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वरुथिनी एकादशी 2023 तारीख (Varuthini Ekadashi 2023 Date)
वैशाख माह की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि की शुरुआत 15 अप्रैल 2023 को सुबह 08ः05 पर होगी. इसका समापन अगले दिन 16 अप्रैल 2023 को सुबह 06ः14 पर होगा. सूर्योदय तिथि को महत्व देते हुए एकादशी 16 तारीख को मनाई जाएगी. वरूथिनी एकादशी के व्रत का पारण समय 17 अप्रैल 2023 को सुबह 05ः54 से सुबह के 10ः45 तक होगा.
वरुथिनी एकादशी कथा (Varuthini Ekadashi 2023 Katha)
वरुथिनी एकादशी के महत्व को बताते हुए श्रीकृष्ण ने युधिष्ठर को कथा सुनाई थी. इस कथा के अनुसार, प्राचीन काल में नर्मादा नदी के किनारे राजा मांधाता राज्य करते थे. वह राजा बहुत ही दानवीर और धर्मात्म माने जाते थे. वह एक बार जंगल में तपस्या कर रहे थे तभी एक भालू उनके पैर चबाने लगा था. भालू तपस्या में लीन भालू को घसीटकर जंगल में ले गया. घायल राजा ने अपने प्राणों की रक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की थी. इसके बाद भगवान विष्णु ने प्रकट होकर भालू को मार दिया था. राजा मंधाता अपंग हो गए थे. उन्होंने भगवान विष्णु से पीड़ा से मुक्ति का उपाय पूछा तो भगवान ने वैशाख की वरुथिनी एकादशी का व्रत करने ते लिए कहा था.
वरुथिनी एकादशी व्रत करने से शारीरिक पीड़ा से मिली थी मुक्ति (Varuthini Ekadashi 2023 Upay)
राजा मंधाता ने भगवान विष्णु के कहने पर इस दिन व्रत किया था. उन्होंने भगवान विष्णु की वराह भगवान के रूप में पूजा की थी. उन्हें इस व्रत के प्रताप से शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिल गई थी. यह व्रत करने से राजा का शरीर फिर से स्वस्थ हो गया था.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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इस दिन है वरुथिनी एकादशी, कथा से जानें कैसे इस व्रत से मिलती है शारीरिक पीड़ा से मुक्ति