डीएनए हिंदी: देश में लाखों देवी-देवताओं के मंदिर हैं और हर किसी की अपनी मान्यता है. यहां आपको देश के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के क्रम में कर्नाटक के मोनेश्वर मंदिर (Karnataka Mouneshwara Mandir) के बारे में बताने जा रहे हैं. ये मंदिर भगवान मोनेश्वर के अलावा अपने प्रसाद के लिए भी जाना जाता है.
कर्नाटक में स्थित श्री मौनेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और प्रसाद के रूप में मिले गांजे का सेवन करते हैं. यह सुनकर आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यहां प्रसाद के रूप में गांजा क्यों दिया जाता है, और कौन लोग हैं जो इसका सेवन करते हैं? चलिए जानते हैं इस परंपरा के बारे में..
इस समुदाय के लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं गांजा
कर्नाटका के कुछ मंदिरों में गांजा को भगवान के प्रसाद के रूप में दिया जाता है. प्रसाद में मिले गांजे का सेवन लोग बड़े शौक से करते हैं. इसके अलावा यहां शारना, अवधूत, शपथ जैसे समुदाय के लोग प्रसाद में मिले गांजे को अलग-अलग रूप में ग्रहण करते हैं. यहां के मंदिरों में ये परंपरा आज से नहीं बल्कि कई सालों से देखने को मिल रही है.
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गांजे के सेवन से मिलती है आध्यात्मिक शांति
यहां के लोगों का मानना है कि गांजे के सेवन से उन्हें आध्यात्मिक शांति का अहसास होता है. ऐसे में कर्नाटक के यादगीर जिले के मौनेश्वर धाम में जनवरी के महीने में एक वार्षिक मेला लगाया जाता है, जहां मौनेश्वर या मनप्पा भगवान की पूजा-अर्चना और प्रार्थना करने के बाद प्रसाद के रूप में गांजे के पैकेट्स दिए जाते हैं. जिसे लोग पानी में उबालकर या फिर तम्बाकू के रूप में ग्रहण करते हैं.
ध्यान के लिए करते हैं गांजे का सेवन
यहां ज्यादातर लोग ध्यान लगाने के लिए गांजे का सेवन करते हैं. यहां के शारना समुदाय का लोगों का कहना है कि मंदिर में गांजे का सेवन करने वाले लोगों में इसकी लत नहीं लगती, अधिकतर लोग दिन में या फिर हफ्ते में एक बार ही इसका सेवन करते हैं , जिससे वो ध्यान लगा पाते हैं.
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गांजे को मानते हैं पवित्र घास
मंदिर के पुजारियों और समिति के लोगों का कहना है कि ये मंदिर की परंपरा है जो कई सालों से चली आ रही है. इसे यहां के संत और श्रद्धालु पवित्र घास मानते हैं. उनकी मान्यता है की इससे उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान के पथ पर जाने में मदद मिलती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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इस मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलता है गांजा, अध्यात्म से जुड़ा है इसका कनेक्शन