डीएनए हिंदीः दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणपति की पूजा के साथ कुबेर की पूजा के बारे में तो आप जानते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि इस दिन दक्षिणावर्ती शंख की पूजा भी बेहद जरूरी होती है और इसके बाद ही दिवाली की पूजा पूरी होती है.
दिवाली पर दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास स्थायी होता है. मान्यता है कि दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने के बाद ही मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है तो आखिर ऐसा क्या है कि देवी लक्ष्मी शंख की पूजा के बाद ही प्रसन्न होती हैं. आज दिवाली पर आप दक्षिणावर्ती शंख को गंगाजल से साफ कर लें और याद रखें कि इस जिस शंख की पूजा की जाती है उसे बजाना नहीं चाहिए.
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दिवाली पर ऐसे करें दक्षिणावर्ती शंख की पूजा | Dakshinavarti Shankh Puja on Dowali
असल में दक्षिमावर्ती शंख को मां लक्ष्मी का भाई माना गया है और यही कारण है कि देवी अपनी पूजा के साथ अपने भाई की पूजा भी चाहती हैं. दिवाली पर शंख की पूजा का विशेष महत्व होता है.
दिवाली के दिन प्रदोष काल में जिस समय मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त होता है उसी समय दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर पूजा स्थान पर साफ वस्त्र के ऊपर रखें. इसके बाद ओम् लक्ष्मी सहोदराय नमः इस मंत्र को बोलते हुए 108 बार जाप करें. फिर धूप, दीप, चंदन, अक्षत इत्यादि के शंख की पूजा करें. पूजन के बाद इस दक्षिणावर्ती शंख को लाल वस्त्र में लपेटकर धन स्थान या तिजोरी में रख दें या पूजा स्थान पर ही रखें और रोज उसकी पूजा करें.
हिंदू धर्म में शंख का अपना एक अलग महत्व है शुभ कार्यों में शंख का इस्तेमाल करना शुभ फलदायी रहता है- दरअसल, शंख की प्राप्ति समुद्र मंथन से हुई है- जिस वक्त देवताओं असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था- उस दौरान 14 रत्न प्राप्त किए गए थे जिसमें से एक शंख भी है- शंखों में सबसे श्रेष्ठ दक्षिणावर्ती शंख को बताया गया है. दक्षिणावर्ती शंख के शीर्ष में चन्द्र देवता, मध्य में वरुण, पृष्ठ भाग में ब्रह्मा और अग्र भाग में गंगा, यमुना तथा सरस्वती का वास माना गया है.
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दक्षिणावर्ती शंख का महत्व | Dakshinavarti Shankh Importance
धर्म शास्त्रों के मुताबिक, भगवान विष्णु, मां दुर्गा और मां लक्ष्मी के हाथों में जो शंख सुशोभित है, वही दक्षिणावर्ती शंख है. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि जिस शंख का मुख दाईं ओर खुले वह दक्षिणावर्ती शंख है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दक्षिणावर्ती शंख और मां लक्ष्मी दोनों की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई है. मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जो 14 रत्न प्राप्त हुए उनमें से एक दक्षिणावर्ती शंख भी है.
जानें दक्षिमावर्ती शंख की पहचान
वामावर्ती शंखों का पेट बाई तरफ खुला हुआ रहता है जबकि दक्षिणावर्ती शंख का मुख दायीं तरफ होता है. इस शंख को बेहद शुभ कल्याणकारी माना गया है. इसके अलावा इस शंख की एक पहचान है इसे इसे कान पर लगाने से इसमें ध्वनि सुनाई देती है.
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दक्षिणावर्ती शंख को घर में रखने के फायदे | Dakshinavarti Shankh Benefits
माना जाता है कि दक्षिणावर्ती शंख को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसके अलावा घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. साथ ही साथ घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
वस्तु दोष को दूर करने में भी दक्षिणावर्ती शंख का खास महत्व है. मान्यता है कि दक्षिणावर्ती शंख के प्रभाव से गृहक्लेश, खतरनाक बीमारी का खतरा नहीं रहता है. इसके अलावा दक्षिणावर्ती शंख आर्थिक संकटों से छुटकारा दिलाने में सहायक होता है.
दक्षिणावर्ती शंख को घर में रखने से शत्रु शांत हो जाते हैं. इसके साथ ही यह शंख, दुर्घटना, चोर, और भय से बचाता है. घर में किसी प्रकार की नाकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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दिवाली पर दक्षिणावर्ती शंख की पूजा जरूर करें, तभी मिलेगा मां लक्ष्मी का आशीर्वाद