डीएनए हिंदी: किसी भी पूजा में स्वास्तिक चिन्ह का विशेष महत्व होता है. लोग अपने घर के बाहर और अंदर भी स्वास्तिक बनाते हैं. मान्यता है कि स्वास्तिक नकारात्मकता को हरकर परिवार में सौभाग्य की प्राप्ति कराता है. गणेशजी प्रथम पूज्य देव हैं और उनका ये चिन्ह हर कार्य में सफलता दिलाता है.
मंगलमय भावना का मूर्तिमंत प्रतीक रूप है स्वास्तिक और किसी भी मंगलकार्य के प्रारंभ में स्वास्तिमंत्र बोलकर कार्य की शुभारंभ करना चाहिए.
स्वास्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पृथा विश्ववेदाः.
स्वास्ति नस्ताक्ष्यों अरिष्टनेमिः स्वास्ति नो वृहस्पतिर्दधातु॥
मान्यता है कि ‘ऊं’ और ‘स्वास्तिक’ जीवन शक्ति का विकास करते हैं और यही कारण है कि इसे अपने पूजाघर में जरूर बनाएं.
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स्वास्तिक बनाने से पहले जान लें ये नियम
1-स्वस्तिक हमेशा सीधा बनाएं और ध्यान रखें कि ये घर में हमेशा सीधा और मंदिर में उल्टा बनाया जाता है. घर में जहां स्वास्तिक बनाना है, वह स्थान एकदम साफ और पवित्र होना चाहिए.
2-स्वास्तिक घर के मुक्ख्य दरवाजे पर बनाना चाहिए. इससे सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती हैं और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है. दरवाजे पर स्वस्तिक बनाने से वास्तुदोष भी दूर हो सकते हैं.
3-स्वास्तिक बनाने के लिए रोली, सिंदूर, हल्दी, कुमकुम कुछ भी प्रयोग कर सकते हैं लेकिन लाल और पीले रंग के अलावा किसी अन्य रंग से स्वास्तिक नहीं बनाना चाहिए.
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4-वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए पूजा करते समय हल्दी से स्वस्तिक बनाना चाहिए.शेष मनोकामनाओं के लिए कुमकुम से स्वस्तिक बनाना चाहिए.
5-स्वास्तिक बनाने के बाद बीच में बिंदी भी जरूर बनाएं और स्वास्तिक के चारों कोने को कर्व बनाना चाहिए.
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Swastika : भगवान गणपति का प्रतीक है स्वास्तिक, जान लें इसे बनाने का सही नियम