Shani Dev KI Puja Or Niyam: शनिवार के दिन कर्मफल दाता शनिदेव की पूजा अर्चना की जाती है. शनिदेव को न्याय का देवता और न्यायधीश भी कहा जाता है. माना जाता है कि शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार ही उसे फल देते हैं. जिस पर भी शनि की कू दृष्टि पड़ती है. उस व्यक्ति का जीवन दुख और मुश्किलों से भर जाता है. वहीं शनिदेव की कृपा मात्र से व्यक्ति रंक से राजा बन जाता है. शनिदेव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली परेशानियां और संकट नष्ट हो जाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग असमंजस में रहते हैं कि आखिर शनिदेव की पूजा का सही समय क्या है. ज्योतिष के अनुसार, शनिदेव की पूजा अर्चना करने का सही समय और दिशा को देखना बेहद जरूरी है. इसके अनुरूप ही शनिदेव पूजा स्वीकार कर फल देते हैं. 

इस समय और दिशा की तरफ करें शनिदेव की पूजा अर्चना

सूर्यपुत्र शनिदेव का स्थान पश्चिम दिशा में है. शनिदेव इसी दिशा में विराजमान हैं. वहीं सूर्यदेव पूरब दिशा में विराजित हैं. दोनों पिता और पुत्र एक दूसरे ​के अपोजिट हैं. सूर्यदेव की ​के एक दम विपरीत दिशा में विराजमान होने की वजह से सूर्य की किरणें शनि की पीठ पर पड़ती हैं. ऐसे में सूर्य उदय से लेकर अस्त होने तक कोई भी पूजा स्वीकार नहीं करते. इस समय शनिदेव दृष्टी नहीं डालते हैं. ऐसे में सूर्यउदय से पूर्व या फिर सूर्यास्त के बाद शनिदेव की पूजा करना शुभ होता है. इसके मंगल फल भी प्राप्त होते हैं. यही वजह है कि शनिदेव की पूजा सूर्योदय या फिर अस्त होने के बाद ही करनी चाहिए. इससे व्यक्ति को शनि के कू प्रभावों से मुक्ति मिलती है. शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है. वहीं दिशा की बात करें तो शनिदेव की पूजा पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके करनी चाहिए. 

रंक को भी राजा बना देते हैं शनिदेव

शनिदेव की कृपा जिस भी व्यक्ति पर आती है. उसे रंक से राजा बनने में ज्यादा समय नहीं लगता, लेकिन उसके लिए शनिदेव की पूजा अर्चना में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. ज्योतिष के अनुसार, शनिदेव भगवान सूर्य और माता संवर्णा के पुत्र हैं. माना जाता है कि न्याय के देवता शनिदेव और सूर्यदेव के बीच आपसी संबंध मधुर नहीं है. 

जानें कैसे शनिदेव का रंग पड़ा काला

पौराणिक कथाओं के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्यदेव का विवाह राजा दक्ष की बेटी संज्ञा के साथ हुआ था, लेकिन सूर्यदेव के तेज से संज्ञा बहुत परेशान थी. उन्होंने सूर्यदेव से तीन संतान मनु, यमराज और यमुना को जन्म दिया. इसके बाद भी सूर्यदेव का तेज कम नहीं हुआ. इससे बचने के लिए संज्ञा ने अपनी छाया सवर्णा को बनाया और खुद अपने पिता के घर चली गई. छाया रूप होने की वजह से सवर्णा पर सूर्य देव के तेज का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता था. सूर्य देव और स्वर्णा की तीन संताने हुईं तपती, भद्रा और शनि. जब शनि गर्भ में थे. तब उनकी मां स्वर्णा भगवान शिव की तपस्या में जुट गई. इसदौरान भूख प्यास, धूप गर्मी का प्रभाव स्वर्णा के गर्भ में पल रहे शनि पर पड़ा. इसी के चलते शनिदेव का रंग काला पड़ गया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Url Title
shanidev puja niyam and rules puja time after sunset get rid all problems shani ke upay
Short Title
शनिदेव की पूजा का क्या है सही समय और दिशा, जानिए इसकी वजह और लाभ
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Shani Dev Puja And Niyam
Date updated
Date published
Home Title

शनिदेव की पूजा का क्या है सही समय और दिशा, जानिए इसकी वजह और लाभ

Word Count
569
Author Type
Author