डीएनए हिंदी: (Sawan Shukra pradosh Vrat 2023) हर माह दो प्रदोष व्रत आते हैं. इसमें भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलते हैं. सावन के प्रदोष व्रत और भी ज्यादा फलदायक होते हैं. इनका विशेष महत्व होता है. इस बार सावन का प्रदोष आज यानी 14 जुलाई 2023 को है. यह व्रत चंद्र पंखवाड़े में 'त्रयोदशी' को पड़ता है. वहीं शुक्रवार के दिन इस व्रत के पड़ने पर शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस बार भी शुक्रवार के ही दिन सावन का पहला प्रदोष व्रत है. यही वजह है कि इसका महत्व और बढ़ जाता है. इस व्रत को रखने से भगवान शिव की कृपा होती है. भगवान भोलेनाथ सुख और सौभागय में वृद्धि करते हैं. सभी काम बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं. अगर आप भी भोलेनाथ से कुछ मांगना चाहते हैं तो प्रदोष व्रत करने से आपकी यह कामना पूर्ण हो सकती है. आइए जानते हैं सावन के पहले शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व, मुहूर्त और पूजा की विधि...
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जानें शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
माह में आने वो दूसरे प्रदोष व्रतों के मुकाबले शुक्र प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. इसकी वजह शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होता है. इस दिन भगवान शिव की साधना करने पर मां लक्ष्मी, शुक्रदेव और भोलेनाथ कृपा करते हैं. इसे जीवन में सुख समृद्धि आती है. धन ऐश्वर्य की कमी नहीं रहती. यह व्रत सौभाग्य प्रदान करता है. भगवान शिव की पूजा के लिए प्रदोष व्रत सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.
ये है शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा का समय
सावन के पहले शुक्र प्रदोष व्रत का बहुत बड़ा महत्व है. पंचांग के अनुसार, यह शुक्रवार को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा. यह तिथि 14 जुलाई 2023 की रात 7 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 15 जुलाई रात 8 बजकर 32 मिनट तक चलेगा. हालांकि व्रत सुबह के समय स्नान करके भगवान शिव की पूजा और मनोकामना लेकर किया जाता है, लेकिन भोलेनाथ की आराधना शाम के समय की जाती है. वहीं भगवान भोलेनाथ की पूजा का समय शुक्रवार रात 7 बजकर 21 मिनट से 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.
शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि
-प्रदोष व्रत के लिए सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद पूजा अर्चना कर संकल्प लें. यह व्रत बिना कुछ खाएं रखा जाता है. हालांकि अगर संभव न हो तो एक समय में फलहार कर सकते हैं.
-व्रत में शाम के समय भगवान शिव की आराधना करें. उनका ध्यान करने के साथ ही शिव पार्वती को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं. बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल और धूप दीप देने के साथ भोग लगाएं.
-इस दिन आटे के आठ दीपक बनाएं. इनमें घी और बाती लगाकर चारों दिशाओं में जलाकर रख दें. साथ ही शिव चालीस का पाठ और आरती करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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आज है सावन का पहला प्रदोष व्रत, जानें शुभ-मुहूर्त और भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय