इस बार भगवान शंकर का प्रिय महीना सावन 22 जुलाई, सोमवार से शुरू होगा, जो 19 अगस्त, सोमवार तक रहेगा. श्रावण मास के पहले सोमवार पर कुछ अद्भुत और विशेष योग बन रहे हैं. इस विशेष योग में की गई शिव पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है.  

सावन माह की शुरुआत के सात ही कांवड़ यात्रा भी शुरू हो चुकी है. पहले दिन भोले बाबा पर जलाभिषेक के लिए कांवड़िए पहले ही हरिद्वार को निकल चुके हैं. सावन का पहला सोमवार प्रीति योग, आयुष्मान योग, स्वार्थ सिद्ध योग और शिववास योग के साथ शुरू हो रहा है. इन योग में भगवान शिव की पूजा विशेष फलदाई होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि सावन के पहले सोमवार पर महादेव की पूजा किस विधि से करनी चाहिए और किन पूजा सामग्री की जरूरत होगी.

शुभ मुहूर्त 

सावन के इस व्रत की तिथि का आरंभ रविवार यानी 21 जुलाई 2024 की दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगा. लेकिन उदया तिथि के अनुसार सावन के पहले सोमवार का व्रत सोमवार 22 जुलाई 2024 को रखा जाएगा. सावन के का पहला सोमवार पर भोले बाबा का जलाभिषेक आप दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से पहले कर लें. हालांकि पूरे महीने सावन है तो शाम को भी जलाभिषेक किया जाएगा.

सावन माह में आने वाले सभी सोमवार की तारीख 
पहला सोमवार - 22 जुलाई 
दूसरा सोमवार - 29 जुलाई 
तीसरा सोमवार - 05 अगस्त
चौथा सोमवार - 12 अगस्त 
पांचवां सोमवार - 19 अगस्त 

सावन सोमवार पूजा सामग्री 2024

सावन के पहले सोमवार को पूजा के लिए इन सामग्रियों को शामिल करें. इनमें भोलेनाथ की तस्वीर, शिवलिंग पूजा के बर्तन, कुशासन, दही,शुद्ध देशी घी, शहद, बेलपत्र, भांग, धतूरा,शमी के पत्ते,गाय का दूध और गंगाजल का नाम शामिल है. इसके अलावा महादेव के वस्त्र माता पार्वती के शृंगार का सामान, छोटी इलायची, मौली, रूई, जनेऊ, चंदन, केसर, अक्षत, इत्र, वस्त्र, दही, शक्कर, कपूर, धूप, दीप, लौंग, रक्षा सूत्र, भस्म,शिव चालीसा, शिव आरती किताब, हवन सामग्री और दान का सामान भी रखें.

सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक क्यों किया जाता है

हिंदू किंवदंतियों के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष में, पानी से जहर निकला. भगवान शिव ने मानव जाति को बचाने के लिए सारा जहर पी लिया. कहा जाता है कि यह घटना श्रावण मास में घटी थी. इससे शिव के शरीर का तापमान काफी बढ़ गया. तब शिव ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया, जिससे उनका तापमान कम करने में मदद मिली और सभी हिंदू देवताओं ने शिव पर गंगा जल की वर्षा की, यह प्रथा आज भी भक्तों द्वारा अपनाई जाती है.
ऐसा कहा जाता है कि इंद्र चाहते थे कि भगवान शिव का तापमान कम हो जाए और इसलिए भारी बारिश हुई. इससे शिव प्रसन्न हुए. तब से, भगवान शिव पूजनीय हैं और श्रावण माह के दौरान, विशेषकर सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है.

पूजा विधि

मान्यता के अनुसार, शिव को प्रसन्न करना सभी देवताओं में सबसे आसान माना जाता है. इसलिए उनकी कृपा पाने के लिए नीचे दिए गए अनुष्ठान करें. श्रावण सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. फिर आपको किसी शिव मंदिर में जाना चाहिए या अपने घर पर ही उचित अनुष्ठानों के साथ आधिकारिक रुद्राभिषेक पूजा करनी चाहिए. बिल्व पत्र, धतूरा, गंगा जल और दूध महत्वपूर्ण पूजा सामग्री हैं. शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए. भगवान शिव को घी-चीनी का भोग लगाया जाता है. फिर प्रार्थना और आरती करें.पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरित करें.

श्रावण मास में शिव पूजा का लाभ

श्रावण माह में सर्वशक्तिमान भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक शुद्धि की प्राप्ति सहित विभिन्न आशीर्वाद प्राप्त होते हैं. इसके अलावा, पंडितों द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार रुद्राक्षी, शहद, घी, बिल्व पत्र आदि से भगवान शिव की पूजा करने से ग्रहों के कारण होने वाली परेशानियां दूर हो जाएंगी.

सावन में रुद्राभिषेक के फायदे

रुद्राभिषेक पूजा से असाध्य रोगों, आर्थिक समस्याओं और बुरे कर्मों से छुटकारा मिलता है. यह आपको अपने करियर, व्यवसाय और निजी जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करेगा. रुद्राभिषेक पूजा के सबसे लाभकारी पहलुओं में से एक है आपकी जन्म कुंडली में दोषों और अशुभ ग्रहों के संयोजन को दूर करना. इसी तरह, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हल्की रुद्र पूजा करने से आपको आंतरिक शांति प्राप्त करने और अपनी इच्छाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी. एक हल्की रुद्र पूजा आपके आस-पास की बुराई और नकारात्मकता को नष्ट कर देती है.

श्रावण सोमवार व्रत की कथा

स्कंद पुराण के अनुसार, श्रावण व्रत की कहानी इस प्रकार है: एक बार देवी सती ने अपने पिता के विरुद्ध जाकर शिव से विवाह करने का निर्णय लिया. उसने उससे विवाह किया लेकिन जब उसने अपने पिता के स्थान पर अपने पति को शिव का अपमान करते देखा तो उसने अपना जीवन त्याग दिया. बाद में उन्होंने पर्वत राजा हिमालय और नैना की बेटी देवी पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया. उन्होंने शिव को अपना पति बनाने के लिए एक महीने तक कठोर तपस्या की. परिणामस्वरूप, उसने अपने लक्ष्य हासिल किए और भगवान शिव द्वारा उसकी प्रशंसा की गई.

16 सोमवार का व्रत करे के लाभ

शिव पुराण के अनुसार, इस व्रत को करने से सफल करियर, व्यवसाय आदि का अच्छा उपहार मिलता है और मानसिक शांति, अच्छा स्वास्थ्य, लंबी उम्र मिलती है. श्रावण मास के दौरान इस व्रत को करने से सभी रोगों और व्याधियों से रक्षा होती है. कुंवारी लड़कियां शिव जैसा जीवनसाथी पाने के लिए लगातार सोलह सोमवार (सोलह सोमवार) का व्रत रखती हैं.

श्रावण मास का मंत्र

- "ॐ नमः शिवाय"

– “ओम त्रयम्बकं यजामहे.”

सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमेव बंधनान्

मृत्योर्मुक्षेय माममृतात्”.

-''ओम तत्पुरुषाय विद्महे

महादेवाय दिमाही

तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्''.

श्रावण मास के व्रत में क्या खाना चाहिए..? क्या नहीं खाना चाहिए..?

फल, साबूदाना, सैंदाव नमक, दूध और इससे जुड़े उत्पाद जैसे दही, छाछ खा सकते हैं. हालाँकि, कुछ लोग दिन में एक बार भोजन करते हैं. साथ ही नमक, लहसुन और प्याज से पकाए गए भोजन से भी बचना चाहिए.

श्रावण मास में किये जाने वाले व्रतों के प्रकार

अर्ध-उपवास: आंशिक या अर्ध-उपवास में, भक्तों को साबूदाना, मेवे आदि जैसे फल और खाद्य पदार्थ खाने की अनुमति होती है. अन्य लोग दिन में उपवास करते हैं और रात में भोजन करते हैं.

कठोर उपवास: इस प्रकार के उपवास में, भक्त दिन में कुछ भी नहीं खाते हैं और केवल पानी का सेवन करते हैं. सूर्यास्त के बाद, वे बिना प्याज और लहसुन का भोजन करके अपना उपवास तोड़ते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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Sawan first somavar on 22nd July Shiva Puja Vidhi Mantra Puja Samagri and Shubh Yoga vrat katha
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कल रखा जाएगा सावन के पहले सोमवार का व्रत, पूजा विधि से लेकर पूजन सामग्री तक जाने
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सावन का पहले सोमवार को कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न
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सावन का पहले सोमवार को कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न

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कल रखा जाएगा सावन के पहले सोमवार का व्रत, ये रही पूजा विधि से लेकर पूजन सामग्री तक पूरी लिस्ट

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