डीएनए हिंदीः हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को रंभा तीज (Rambha Teej 2023) का व्रत रखा जाता है. रंभा तीज (Rambha Teej 2023) को रंभा तृतीया के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत का सुहागिन महिलाओं और कुंवारी लड़कियों दोनों के लिए ही महत्व होता है. रंभा तीज (Rambha Teej 2023) पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत करती है वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छा वर प्राप्त करने की कामना से व्रत करती हैं.
इस व्रत पर मां पार्वती और शिव जी की पूजा की जाती है. ऐसे में भगवान शिव की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. महिलाओं को इस व्रत (Rambha Teej 2023) को करने से जीवन में सुख, शांति, संतान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आज हम आपको रंभा तीज (Rambha Teej 2023) की तारीख, शुभ मुहूर्त पूजा विधि व कथा के बारे में बताते हैं. रंभा तीज की कथा रावण की पत्नियों से जुड़ी हुई है.
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रंभा तीज 2023 तारीख (Rambha Teej 2023 Date)
ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को रंंभा तीज मनाई जाती है. साल 2023 में इस तिथि की शुरुआत 21 मई को रात 10ः09 से हो रही है जिसका समापन 22 मई को रात 11ः19 पर होगा. ऐसे में सूर्योदय को महत्व देते हुए रंभा तीज 22 मई को मनाई जाएगी.
रंभा तीज 2023 शुभ योग (Rambha Teej 2023 Shubh Yog)
रंभा तीज पर दो शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन अमृतसिद्धि योग सुबह 5 बजकर 47 मिनट से 10 बजकर 37 मिनट तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग भी रंभा तीज पर सुबह 5 बजकर 47 मिनट से 10 बजकर 37 मिनट ही रहेगा.
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रंभा तीज 2023 पूजा विधि (Rambha Teej 2023 Puja Vidhi)
रंभा तीज पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सुबह स्नान के बाद भगवान का स्मरण करना चाहिए. सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का संकल्प लें और मां पार्वती और भगवान शिव की विधि से पूजा करें. भगवान शिव जी की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध,दही और पंचामृत से करें. पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें.
रंभा तीज की कथा (Rambha Teej 2023 Katha)
रावण की दो पत्नियां थी पहली पत्नी राक्षसराज मयासुर की पुत्री मंदोदरी थी और दूसरी पत्नि धन्यमालिनी थी. वाल्मिकी रामायण में रावण की तीसरी पत्नि के बारे में भी बताया गया है. रावण को मृत्यू के बाद स्वर्गलोक में रंभा नाम की अप्सरा मिली थी. रावण ने रंभा को अपने वश में करना चाहा. रंभा ने अपने को उसकी पुत्रवधु के समान बताकर नकार दिया था. रावण ने इसके बाद भी रंभा से दुराचार करना चाहा ऐसे में नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया था. रावण को श्राप दिया की वह किसी भी स्त्री को स्पर्श नहीं कर पाएगा. ऐसा करने की कोशिश की तो उसका मस्तिष्क सौ टुकड़ों में बंट जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इसके बाद से ही रंभा की पूजा होने लगी थी. रंभा का जन्म समुद्र मंथन के बाद में हुआ था. रंभा तीज का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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आज है रंभा तीज, पति की लंबी आयु के लिए इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और व्रत कथा