डीएनए हिंदी: Right Way To Do Aarti- सनातन धर्म में पूजा-पाठ के बाद अंत समय में आरती कर पूजा को पूर्ण किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बिना आरती के कोई भी पूजा सफल नहीं होती है. इसलिए किसी भी देवी-देवता की पूजा के बाद उनकी आरती जरूर की जाती है (Aarti Importance Significanc). पूजा चाहे मंदिर में हो या फिर घर में, सभी जगह आरती करना बेहद महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि आरती के बाद ही पूजा संपन्न होती है और उस पूजा का पर्याप्त फल प्राप्त होता है (Puja Path Aarti Vidhi). धार्मिक ग्रंथों में आरती की सही विधि और नियम बताए गए हैं. ऐसे में जितना ध्यान पूजा पाठ के सही विधि का रखा जाता है, उतना ही ध्यान आरती करते समय इन नियमों का रखना चाहिए. तो चलिए जानते हैं धर्म ग्रंथों, पुराणों और शास्त्रों में आरती से जुड़े कौन से नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी है.

आरती करते समय इन नियमों का रखें खास ध्यान (Know Right Way To Do Puja Aarti Niyam)

14 बार घुमानी चाहिए आरती की थाली

शास्त्रों के अनुसार आरती की थाली को सबसे पहले भगवान के चरणों का चार बार, नाभि का दो बार, मुख की तरफ एक बार और सिर से लेकर चरणों तक सात बार घुमानी चाहिए. यानी कि आरती कुल 14 बार घुमाई जानी चाहिए. इस नियम का जिक्र शास्त्रों में भी मिलता है.

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ऊंची जगह पर रखें आरती का दीपक

शास्त्रों के अनुसार आरती को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए. आरती करने से पहले और आरती करने के बाद आरती के दीपक को हमेशा किसी थाली या फिर किसी ऊंची जगह में ही रखना चाहिए. इसके अलावा दीपक जलाने के बाद और दीपक जलाने से पहले अपने हाथों को अवश्य धो लें.

आरती के बाद जरूर करें ये काम

किसी भी पूजा पाठ में देवी-देवताओं की आरती करने के बाद जल से आचमन जरूर करें. इसके लिए आरती के दीपक को रखकर पुष्प या फिर पूजा वाले चम्मच से जल लेकर दीपक के चारों ओर दो बार घुमाकर जल को धरती में छोड़ दें. ऐसा करने के बाद भगवान से भूल चूक के लिए माफी मांगे और परिवार के सदस्यों को आरती दें.

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आरती से जुड़ी ये खास बातें 

शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने स्वयं कहा है कि जो व्यक्ति घी के दीपक से आरती करता है, तो उसे स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है. वहीं जो व्यक्ति कपूर से आरती करता है उसे अनंत में प्रवेश मिलता है. इसके अलावा जो भी व्यक्ति पूजा में होने वाली आरती के दर्शन करता है, तो उसे परम पद की प्राप्ति होती है.

स्कंद पुराण के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पूजा मंत्र नहीं जानता या पूजा की संपूर्ण विधि नहीं जानता, लेकिन वो अगर भगवान की आरती में श्रद्धा पूर्वक शामिल होता है तो उसकी पूजा स्वीकार होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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कितनी बार करनी चाहिए भगवान की आरती? जानिए नियम
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कितनी बार करनी चाहिए भगवान की आरती? जानिए नियम

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कितनी बार करनी चाहिए भगवान की आरती? जानिए नियम और इससे जुड़ी कुछ खास बातें