सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को भगवान शंकर की पूजा के लिए सर्वोत्तम व्रत माना जाता है. यह व्रत हर महीने की तीसरी तिथि को किया जाता है. त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है इसलिए प्रदोष व्रत करने से साधक को भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है. यह व्रत एक माह में दो बार रखा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से भक्त को सुख, समृद्धि और उन्नति मिलती है. ऐसे में आइए जानते हैं नवंबर महीने में कब है प्रदोष व्रत.

प्रदोष व्रत 2024
नवंबर माह का पहला प्रदोष व्रत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार नवंबर माह का पहला प्रदोष व्रत 13 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा.
 
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
नवंबर माह का पहला प्रदोष व्रत 13 नवंबर, बुधवार को रखा जाएगा. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का सबसे शुभ समय शाम 5:52 से 2:28 बजे तक है.

प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा शाम के समय की जाती है: 
 
प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से करीब 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं. 

नवंबर माह में दूसरा प्रदोष व्रत
नवंबर माह का दूसरा प्रदोष व्रत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा. ऐसे में नवंबर माह का दूसरा प्रदोष व्रत 28 नवंबर, गुरुवार को रखा जाएगा.

नवंबर माह के दूसरे प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त है
नवंबर माह का दूसरा प्रदोष व्रत 28 नवंबर, गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 6 बजकर 23 मिनट से रात 8 बजे तक रहेगा. इस शुभ समय पर पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है.
 
पूजा अनुष्ठान
स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें. शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करनी चाहिए. अगर आप व्रत रखना चाहते हैं तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लें और व्रत रखने का संकल्प लें. इसके बाद शाम के समय घर के मंदिर में रोशनी करनी चाहिए. इसके बाद शिव मंदिर या घर पर ही शिव परिवार की विधिवत पूजा करनी चाहिए. अब बुध प्रदोष व्रत की कथा सुनें. इसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ घी के दीपक से शंकर जी की आरती करनी चाहिए. अंत में ॐ नमः के बिना इस मंत्र का जाप करें. अंत में क्षमा के लिए प्रार्थना करें.

प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत का महत्व शिव पुराण में बताया गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शंकर की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत सबसे उत्तम माना जाता है. इस व्रत को करने और प्रदोष काल में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही प्रदोष व्रत करने से साधक को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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Pradosh Vrat first fast observed on 13 November knows shivji evening puja best time on Pradosh
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नवंबर माह में इस दिन रखा जाएगा प्रदोष का पहला व्रत
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नवंबर माह में प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा
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नवंबर माह में प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा

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नवंबर माह में इस दिन रखा जाएगा प्रदोष का पहला व्रत,  यहां जानें संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त 
 

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