डीएनए हिंदीः पितृपक्ष में पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के अनुसार ही पिंडदान और तर्पण देने का नियम है. अगर पूर्वजों की मृत्यु का पता न हो तो उसके लिए एक खास दिन निर्धारित होता है. यानी साल किसी भी महीने की जिस तिथि पर पितरों की मृत्यु हुई होती है उसी तिथि पर पितृ पक्ष के दोरान पिंडदान किया जाता है. इसके अलावा कुछ खास तिथियों पर खास पितरों का श्राद्ध किया जाता है.
माता-पिता से लेकर साधु-सन्यासी या अकाल मृत्यु वालों के लिए अलग-अलग दिन पिंडदान और तर्पण के लिए तय है और उसी दिन पितरों का पिंडदान करना होता है. तो चलिए जानें किस दिन किसके पिंडदान और तर्पण किया जाता है. ध्यान रहे की पितृ पक्ष में दोपहर (12:30 से 01:00) तक श्राद्ध कर लेना चाहिए.
श्राद्ध कर्म 2023 के शुभ मुहूर्त-
भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध जैसे कि पितृ पक्ष श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध होते हैं. इन श्राद्धों को सं कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं. अपराह्न काल समाप्त होने तक श्रा अनुष्ठान संपन्न कर लेने चाहिये . श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है. अवधि - 00 घंटे 48 मिनट्स रौहिण मूहूर्त - 12:35 पी एम से 01:23 पी एम कुतुप मूहूर्त - 11:47 ए एम से 12:35 पी एम अवधि - 00 घंटे 48 मिनट्स अपराह्न काल - 01:23 पी एम से 03:46 पी एम अवधि - 02 घंटे 23 मिनट्स
प्रतिपदा तिथि कब से कब तक है:
प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से प्रारंभ होगी और 30 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर को मनाई जाएगी.
पितृ पक्ष की तिथियां (Pitru Paksha 2023 Dates)
- 29 सितंबर 2023, पूर्णिमा और प्रतिपदा का श्राद्ध
- शनिवार 30 सितंबर 2023, द्वितीया तिथि का श्राद्ध
- रविवार 01 अक्टूबर 2023, तृतीया तिथि का श्राद्ध
- सोमवार 02 अक्टूबर 2023, चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
- मंगलवार 03 अक्टूबर 2023, पंचमी तिथि का श्राद्ध
- बुधवार 04 अक्टूबर 2023, षष्ठी तिथि का श्राद्ध
- गुरुवार 05 अक्टूबर 2023, सप्तमी तिथि का श्राद्ध
- शुक्रवार 06 अक्टूबर 2023, अष्टमी तिथि का श्राद्ध
- शनिवार 07 अक्टूबर 2023, नवमी तिथि का श्राद्ध
- रविवार 08 अक्टूबर 2023, दशमी तिथि का श्राद्ध
- सोमवार 09 अक्टूबर 2023, एकादशी तिथि का श्राद्ध
- मंगलवार 10 अक्टूबर 2023, मघा श्राद्ध
- बुधवार 11 अक्टूबर 2023, द्वादशी तिथि का श्राद्ध
- गुरुवार 12 अक्टूबर 2023, त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
- शुक्रवार 13 अक्टूबर 2023, चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध
- शनिवार 14 अक्टूबर 2023, सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध
किस तिथि में किन पितरों का श्राद्ध करना चाहिए
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पूर्णिमा तिथि (29 सितंबर 2023)
ऐसे पूर्जव जो पूर्णिमा तिथि को मृत्यु को प्राप्त हुए, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष के भाद्रपद शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को करना चाहिए. इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.पहला श्राद्ध (30 सितंबर 2023)
जिनकी मृत्यु किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन हुई हो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इसी तिथि को किया जाता है. इसके साथ ही प्रतिपदा श्राद्ध पर ननिहाल के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला नहीं हो या उनके मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो भी आप श्राद्ध प्रतिपदा तिथि में उनका श्राद्ध कर सकते हैं.द्वितीय श्राद्ध (01 अक्टूबर 2023)
जिन पूर्वज की मृत्यु किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है.तीसरा श्राद्ध (02 अक्टूबर 2023)
जिनकी मृत्यु कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन होती है, उनका श्राद्ध तृतीया तिथि को करने का विधान है. इसे महाभरणी भी कहा जाता है.चौथा श्राद्ध (03 अक्टूबर 2023)
शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में से चतुर्थी तिथि में जिनकी मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्थ तिथि को किया जाता है.पांचवा श्राद्ध (04 अक्टूबर 2023)
ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु अविवाहिता के रूप में होती है उनका श्राद्ध पंचमी तिथि में किया जाता है. यह दिन कुंवारे पितरों के श्राद्ध के लिए समर्पित होता है.छठा श्राद्ध (05 अक्टूबर 2023)
किसी भी माह के षष्ठी तिथि को जिनकी मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है. इसे छठ श्राद्ध भी कहा जाता है.सातवां श्राद्ध (06 अक्टूबर 2023)
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को जिन व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इस तिथि को करना चाहिए.आठवां श्राद्ध (07 अक्टूबर 2023)
ऐसे पितर जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या पितृमोक्ष अमावस्या पर किया जाता है.नवमी श्राद्ध (08 अक्टूबर 2023)
माता की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध न करके नवमी तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि, नवमी तिथि को माता का श्राद्ध करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैं. वहीं जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि याद न हो उनका श्राद्ध भी नवमी तिथि को किया जा सकता है.दशमी श्राद्ध (09 अक्टूबर 2023)
दशमी तिथि को जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध महालय की दसवीं तिथि के दिन किया जाता है.एकादशी श्राद्ध (10 अक्टूबर 2023)
ऐसे लोग जो संन्यास लिए हुए होते हैं, उन पितरों का श्राद्ध एकादशी तिथि को करने की परंपरा है.द्वादशी श्राद्ध (11 अक्टूबर 2023)
जिनके पिता संन्यास लिए हुए होते हैं उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि को करना चाहिए. चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो. इसलिए तिथि को संन्यासी श्राद्ध भी कहा जाता है.त्रयोदशी श्राद्ध (12 अक्टूबर 2023)
श्राद्ध महालय के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बच्चों का श्राद्ध किया जाता है.चतुर्दशी तिथि (13 अक्टूबर 2023)
ऐसे लोग जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे आग से जलने, शस्त्रों के आघात से, विषपान से, दुर्घना से या जल में डूबने से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए.अमावस्या तिथि (14 अक्टूबर 2023)
पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के श्राद्ध किए जाते हैं. इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन भी कहा जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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पितृपक्ष में किस तिथि पर किसका करें पिंडदान, ये है पितरों को तर्पण देने के नियम