डीएनए हिंदीः पितृत्व चल रहा है और इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा. हिंदू धर्म में पितृसत्ता का विशेष महत्व है. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है. इसके अलावा कुछ अन्य नियमों का भी पालन किया जाता है. इसका पालन करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, साथ ही पितृदोष भी दूर होता है.

शास्त्रों के अनुसार छोटी-छोटी गलतियों के कारण भी व्यक्ति पितृदोष की चपेट में आ जाता है. परिणामस्वरूप परिवार की सुख-समृद्धि और सफलता अवरुद्ध हो जाती है. पितृ पक्ष में कुछ नियमों का पालन करने से इस दोष को दूर किया जा सकता है, साथ ही सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है. पितृसत्ता में ऐसा ही एक नियम है कुछ खास धातु के बर्तनों में खाना पकाना. आइए जानते हैं कि शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान खाना पकाने के लिए किसी भी धातु के बर्तन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

लोहे का बर्तन
शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान भूलकर भी लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इस समय लोहे के बर्तनों में खाना न पकाएं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान लोहे के बर्तनों में खाना पकाने से पितर नाराज हो जाते हैं. लोहे के बर्तनों में खाना पकाने से उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती. इसलिए पितृपक्ष के दौरान लोहे के बर्तनों का प्रयोग न करें. इसमें उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती.

पितृ पक्ष के समय पितरों के लिए कैसा भोजन बनाना चाहिए?

1. श्राद्धपक्ष में पितरों के लिए भोजन बनाते समय पवित्रता रखनी चाहिए. खाना पकाने से पहले रसोई को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार पवित्रता बनाए रखने से पितर प्रसन्न होते हैं. इसलिए नहाने के बाद ही खाना बनाना चाहिए.

2. पिता के लिए सात्विक भोजन बनाना चाहिए. प्याज, लहसुन , सरसों का तेल, बैंगन आदि का प्रयोग न करें. खाना पकाने के लिए गाय के दूध और घी का ही प्रयोग करें.

3. श्राद्ध के समय पितरों के लिए पिस अवश्य बनाना चाहिए. इसके अलावा लूची, आलू की सब्जी, चने या लौकी की सब्जी बनानी चाहिए. मिठाई भी रखें.

4. श्राद्धकर्म के बाद जब तक ब्राह्मण स्वयं भोजन न कर लें तब तक उन्हें भोजन नहीं करना चाहिए. ब्राह्मणों को पीतल, चाँदी या सालपाटे पर भोजन कराएं . श्राद्ध में कांच, प्लास्टिक की वस्तुओं का प्रयोग न करें. दक्षिण दिशा की ओर ब्राह्मणों को भोजन कराएं.

जानिए कुछ जरूरी नियम

  1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृपक्ष का हर दिन बहुत खास होता है. इस समय प्रतिदिन गाय के लिए दो रोटी निकालें. इसके बाद उसमें गुड़ डालकर पितरों को याद करें और उस रोटी को गाय को खिला दें. फलस्वरूप पितर प्रसन्न होंगे.
  2. पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस समय दान करना बहुत शुभ होता है. इसलिए इस दौरान ब्राह्मण भोजन करना जरूरी है. श्राद्धकर्म के बाद गाय, कुत्ते और कौओं को भोजन कराया जाता है.
  3. पुनः यदि कोई विवाहित व्यक्ति श्राद्ध करता है तो उसका विवाह कर देना चाहिए. माता-पिता को सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग नहीं करना चाहिए.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

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pitru paksha 2023 cooking utensils rule what to cook for ancestors pitron ko naraj karenge
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इस धातु के बर्तन में खाना बनाने का मतलब है पितरों के क्रोध और असंतोष को बढ़ाना
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