डीएनए हिंदी : पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022) के दौरान गया में पिंडदान (Pind daan) करने का विशेष महत्व है. मान्यता है इस पक्ष में गया में पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को पृथ्वी लोक में आकर अपने परिवार के लोगों से मिलने का अवसर प्राप्त होता है. इसलिए इस दौरान पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए पिंडदान, श्राद्ध व तर्पण किया जाता है. 

पिंडदान व श्राद्ध (Shradh 2022) करने के लिए यूं तो देश भर में कई स्थान हैं लेकिन गया को इन महत्वपूर्ण स्थानों में सर्वोपरि माना जाता है. अमूमन पिंडदान में चावल का पिंड बनाया जाता है लेकिन गया (Gaya) में फल्गु नदी के तट पर चावल की जगह रेत का भी पिंडदान (Balu ka pind daan) किया जाता है. आइए जानते हैं गया में क्यों किया जाता है बालू का पिंडदान और क्या है इसका महत्व.

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इसलिए किया जाता है गया में रेत का पिंडदान 

वाल्मीकि रामायण के अनुसार पितृपक्ष के दौरान भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपने पिता दशरथ की आत्मा के शांति के लिए गया में पिंडदान (Pinddaan Gaya) करने पहुंचे थे. कहा जाता है कि भगवान राम माता सीता के साथ नगर में जाकर श्राद्ध के लिए आवश्यक सामग्री एकत्रित कर रहे थे तभी आकाशवाणी हुई कि पिंडदान का समय निकला जा रहा है. इस दौरान राजा दशरथ ने माता सीता को दर्शन दे कर पिंडदान करने के लिए कहा.

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मान्यता है कि माता सीता ने यहां पर फल्गु नदी, वटवृक्ष, केतकी के फूल और गाय को साक्षी मान कर बालू का पिंड बना कर पिंडदान किया जिससे राजा दशरथ की आत्मा को शांति मिली. तब से मान्यता है कि गया में फल्गु नदी के तट पर बालू का पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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Pitru Paksha 2022 sand pinddaan in Gaya know importance and reason balu pinddaan
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इसलिए किया जाता है गया में रेत का पिंडदान 
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Baalu ka pind daan
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इसलिए किया जाता है गया में रेत का पिंडदान 

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Pitru Paksha 2022: गया में रेत (बालू) का भी किया जाता है पिंडदान, जानें क्या है महत्व