डीएनए हिंदीः बाबा श्याम का जन्म कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि यानी एकादशी को हुआ था. हारे का सहारा, भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार, लखदातार, शीश का दानी बाबा श्याम का जन्मदिन देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को है.
राजस्थान के सींकर स्थित बाबा के मंदिर को इस दिन फूलों से सजाया जाता है. इसके बाद बाबा श्याम को इत्र से स्नान कराया जाता है और गुलाब, चंपा, चमेली सहित विभिन्न प्रकार के फूलों से बनी मालाओं से बाबा श्याम को सजाया जाता है. देशभर से बाबा के भक्त हाथों में रंग-बिरंगे निशान लेकर बाबा के मंदिर में आते हैं और श्याम बाबा की जय, खाटू नरेश की जय, शीश के दानी की जय आदि के नारे लगाते हैं. लोग बाबा के दरबार में मावे का केक भी चढ़ाते हैं.
खाटू श्याम जी के जन्मदिन पर क्या करें?
खाटू श्याम जी के जन्मदिन पर बाबा की विधि-विधान से पूजा करें और उन्हें उनका पसंदीदा भोग ग्रहण कराएं. बाबा के पसंदीदा भोग में गाय का कच्चा दूध, खीर चूरमा और मावा पेड़ा प्रमुख हैं.
बाबा खाटू श्याम जी के मंदिर में सर्दी में दर्शन का समय
सुबह 4.30 से दोपहर 12.30 बजे तक
शाम में 4 बजे से रात 10 बजे तक
बाबा खाटू श्याम से जुड़ी पौराणिक कथा
बाबा खाटू श्याम का असली नाम बर्बरीक था. वे भीम और हिडम्बा पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे. उन्हें भगवान कृष्ण से वरदान प्राप्त था कि कलयुग में उन्हें श्याम नाम से पूजा जाएगा. दरअसल, बर्बरीक काफी बलशाली थे और वे महाभारत के युद्ध में जिस भी तरफ से लड़ते जीत उन्हीं की होती. ऐसे में भगवान कृष्ण ने उनसे उनका शीश मांग लिया. तब बर्बरीक ने अपना शीश काट कृष्ण के चरणों में रख दिया. भगवान कृष्ण बर्बरीक के बलिदान से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे ही नाम से पूजे जाओगे और जो तुम्हारी शरण में आकर सच्चे मन से कुछ भी मांगेगा, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी. वहीं कहते हैं कि वरदान के बादा बाबा श्याम का शीश राजस्थान के खाटू नाम के स्थान पर दफनाया गया जो कि राजस्थान के सीकर जिले में है. इसी वजह से आगे चलकर बाबा श्याम को खाटू श्याम के नाम से जाना जाने लगा.
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आज देवउठनी एकादशी के साथ सींकर में फूलों और इत्र के साथ मनेगा बाबा खाटू श्याम का जन्मोत्सव