डीएनए हिंदीः नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि (Devi Kalratri) की पूजा सुबह से ज्यादा संध्या या रात करने का महत्व ज्यादा माना गया है. संध्या पूजा (Sandhya Puja) गृहस्थ लोग तो मध्य रात्रि की पूजा (Mid Night puja) तांत्रिकों के लिए बेहद खास होती है. आज के ही दिन श्रीयंत्र की स्थापना(Sri Yantra Sthapna) भी होती है. 

देवी कालरात्रि ऋद्धि-सिद्धि प्रदान करने वाली मानी गई हैं. साथ ही नवरात्रि की सप्तमी को तंत्र साधना करने वाले साधक रात के समय देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं. देवी पापियों का नाश करने और अपने भक्तों का भला करने वाली हैं. तो लीजिए  देवी की संध्या आरती, बीज मंत्र और पूजा विधि (Navratri 7th Day Aarti, Mantra, Puja Vidhi) से लेकर श्रीयंत्र स्थापना (Sri Yantram Sthapna)  तक की पूरी जानकारी.

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मां कालरात्रि की पूजा विधि (Maa Kalratri Ki Puja Vidhi) :
मां कालरात्रि की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में की जाती है. तांत्रिक क्रिया से साधना करने वाले इनकी पूजा रात के समय करते हैं. मां की पूजा के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें. इस दिन मां कालरात्रि को कुमकुम, लाल फूल, रोली चढ़ाएं. माला के रूप में मां को नीबूओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाकर उनकी अराधना करें. इसके बाद माता की कथा पढ़ें या सुने और अंत में उनकी आरती उतार कर उनको भोग लगाएं. मां से जाने अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांगें. शाम को भी इसी क्रम में पूजा विधि करनी होगी. बस शाम को सूर्यास्त के बाद स्नान दोबारा करना होगा.

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मां कालरात्रि के मंत्र (Maa Kalratri Mantra) :
– ॐ कालरात्र्यै नम:– ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ– ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा– या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥– ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे.

निशा पूजा में होती है श्रीयंत्रम् की रचना, जानिए इस पूजा का महत्व
आज रात में ही निशा पूजा, संधि पूजा का आयोजन देशभर के दुर्गा पंडालों और मंदिरों में होगा. सप्तमी के स्वरूप को मां कालरात्रि कहा जाता है. मां का ये स्वरूप बेहद रौद्र माना गया है. नव​रात्रि के सातवें दिन तो मां कालरात्रि की होती है लेकिन सप्तमी और अष्टमी तिथि के मिलन पर मां दुर्गा की संधि पूजा होती है. निशा पूजा के दौरान मां शृंगार, हवन, श्रीयंत्रम् आदि की पूजा होती है. इसके अलावा मां को 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है. निशा पूजा के प्रसाद का खास महत्व माना गया है. इस दौरान मां के रौद्र रूप का बखान और कथा सुनने का विधान कहा गया है.

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मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी 'भक्त' प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय
 
मां दुर्गा का महास्नान फिर रात 12 बजे शुरू होगी निशा पूजा
देवी कालरात्रि रौद्र की पूजा देर रात हाती है. इसे निशा पूजा के नाम से जाना जाता है. पूजा की शुरुआत 12 बजे रात होती है. इसमें मां का विधि विधान से पूजन किया जाता है. मुख्यतः ये पूजा तांत्रिक ही करते हैं और इसमें कई जगह पशु बलि भी दी जाती है. 
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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आज मां कालरात्रि की संध्या और मध्य रात्रि होगी विशेष पूजा, जानें आराधना विधि
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आज मां कालरात्रि की संध्या और मध्य रात्रि होगी विशेष पूजा

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