डीएनए हिंदीः Significance of Makar Sankranti- सनातन धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार बेहद ही खास माना जाता है. देश के अलग-अलग जगहों पर इसे अलग-अलग रूप में मनाया जाता है, जैसे कि खिचड़ी, उत्तरायण और लोहड़ी. वैसे तो सनातन धर्म में लगभग सभी व्रत-उत्सव चंद्रमा की तिथियों के आधार पर मनाया जाता है. लेकिन केवल मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) ही एक ऐसा पर्व है जो सूर्य के राशि ( Surya Rashi Parivartan) परिवर्तन करने की खुशी में मनाया जाता है. इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं जो इसे बेहद खास बनाती हैं. वैसे तो एक साल में 12 संक्रांति होती है, लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा महत्व मकर संक्रांति का है. चलिए जानते हैं मकर संक्रांति क्यों है इतना खास.
कैसे एक साल में होती है 12 संक्रांति (There Are 12 Sankrantis In A Year)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव जब राशि परिवर्तन करते हैं यानी एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. तो उसे संक्रांति कहा जाता है. ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य देव हर 30 दिन में राशि परिवर्तन करते हैं. इसलिए साल में 12 संक्रांति का योग बनता है. ऐसे में सूर्य देव जिस राशि में प्रवेश करते हैं उसी राशि के नाम पर संक्रांति होती है, जैसे सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो धनु संक्रांति, सिंह राशि में सिंह संक्रांति ठीक वैसे ही जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो वहां मकर संक्रांति होता है.
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मकर संक्रांति का ही क्यों है इतना महत्व (Makar Sankranti Significance)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो ये पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर गति करने लगते हैं. क्योंकि हमारा देश उत्तरी गोलार्ध में है. इसलिए सूर्य के उत्तरी गोलार्ध की ओर गति करने से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य की ये स्थिति बेहद शुभ मानी जाती है. क्योंकि इस दौरान सूर्य की रोशनी से फसलें पकती हैं और पानी का वाष्वीकरण तेजी से होता है. जो बाद में बारिश के रूप में वापस प्राप्त होता है. इसलिए मकर संक्रांति को शुभ माना जाता है.
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इसलिए कहा जता है उत्तरायण (Why Makar Sankranti Called Uttarayan)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य जब दक्षिणी गोलार्ध की ओर गति करता है तो इसे दक्षिणायन और जब उत्तरी ध्रुव की ओर गति करता है तो इसे उत्तरायण कहते हैं. इसलिए इसे उत्तरायण भी कहा जता है. इसके अलावा उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है. धर्म ग्रंथों में भी उत्तरायण को बेहद शुभ माना जाता है. कहा जता है कि भीष्म पितामाह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही अपने प्राण त्यागे थे.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Makar Sankranti 2023: एक साल में होती है 12 संक्रांति, मकर संक्रांति ही क्यों है इतनी खास?