Mahashivratri 2024: त्रिदेवों के देव महादेव की पूजा प्राचीन समय से की जा रही है. उनके कई प्राचीन शिवलिंग भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में मौजूद हैं. महादेव को भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ ही भोलेनाथ भी कहा जाता है. महादेव को प्रसन्न करने का महापर्व महाशिवरात्रि है. यह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाएगी. यह 8 मार्च 2024 को होगी. महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024 Festival) के पावन पर्व पर शिवभक्त व्रत (Lord Shiv Devotees ) रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना करें. इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है.
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर महादेव भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसी के बाद से महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है. व्यक्ति के सभी काम बनते चले जाते हैं. इसी कड़ी में जानते हैं कि भगवान शिव ने सबसे पहले किसे अपना ज्ञान दिया था.
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भगवान शिव ने इन्हें दिया था ज्ञान
भोलेनाथ भगवान शिव को त्रिदेव के साथ ही जगत गुरु कहा जाता है. भगवान शिव ने ही गुरु शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी. भगवान की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न करने वाले रावण से लेकर परशुराम राम तक शिवभक्त थे. भगवान शिव ने परशुराम को ज्ञान देने के साथ ही हथियार भी दिया था, लेकिन भगवान शिव से सबसे पहला ज्ञान लेने वाले ये दोनों ही नहीं हैं. रावण और परशुराम से भी पहले भगवान शिव ने अपना ज्ञान सप्तऋषियों को दिया था.
अलग अलग दिशाओं में फैलाया शिव का ज्ञान
भगवान शिव द्वारा सप्तऋषियों को ज्ञान देने के पीछे की वजह इसको फैलाना था. यही वजह है कि महादेव ने सबसे पहले सप्तऋषियों को ज्ञान दिया. शिवजी से ज्ञान प्राप्त करने के बाद सप्तऋषियों ने इसे अलग-अलग दिशाओं में फैलाया. इसी के बाद दुनियाभर के शैव धर्म, योग और ज्ञान का प्रचार प्रसार हुआ.
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भगवान शिव के मूल शिष्य थे सप्तऋषि
बताया जाता है कि सप्तऋषि ही भगवान शिव के पहले और मूल शिष्य थे. उन्होंने ही सबसे पहले भगवान शिव से ज्ञान प्राप्त किया. इसके बाद सप्तऋषियों ने इस ज्ञान को फैलाया था. भगवान शिव ही पहले योगी भी हैं और इन्हें मानव स्वभाव की गहरी समझ है. पौराणिक कथाओं मकें बताया जाता है कि सप्तऋषियों से भगवान शिव के ज्ञान की 7 रूपों की शाखाएं निकली. इससे सैकड़ों शाखाएं बन गई.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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भगवान शिव ने परशुराम और रावण से पहले इन्हें दिया था ज्ञान, जानिए कौन थे भोलेनाथ के मूल शिष्य