डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में सभी भगवानों के अवतारों के बारे में उल्लेख किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी-देवताओं ने पृथ्वी पर अलग-अलग रूपों में अवतार लिया था. भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में तो लगभग सभी लोग जानते ही हैं. विष्णु भगवान के कृष्ण और राम अवतार के बारे में तो सभी को पता है. हालांकि आज हम आपको भगवान शिव के अवतारों (Lord Shiv Avatar) के बारे में बताने वाले हैं. पुराणों के अनुसार, भगवान शिव (Bhagwan Shiv) के कुल 19 अवतार है. भगवान शिव जी त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव में से एक हैं. भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है. त्रिदेव में भगवान शिव (Bhagwan Shiv) को संहार का देवता माना गया है. पुराणों के अनुसार भगवान शिव के कई अवतार है जिनमें से हनुमान (Hanuman Ji) अवतार सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.

भगवान शिव के अवतार (Lord Shiv Avatar)
वीरभद्र अवतार

शिव जी ने दक्ष के यज्ञ कुंड में सती के देह दान कर देने के समय पर वीरभद्र अवतार लिया था. भगवान शिव ने वीरभद्र अवतार लेकर दक्ष यज्ञ का विध्वंस किया था और सिर काटकर मृत्यु दंड दिया था.

भैरव अवतार
भगवान शिव के भैरव अवतार को शिव जी का पूर्ण अवतार माना जाता है. भगवान शिव के भैरव अवतार का मंदिर काशी में स्थित हैं. यहां पर आप शिव जी के भैरव अवतार के दर्शन कर सकते है.

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अश्वत्थामा अवतार
भगवान शिव जी ने महाभारत काल के दौरान गुरु द्रोण के पुत्र का अश्वत्थामा काल का अवतार लिया था. मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल के वीर योद्धा का अवतार आज भी जीवीत है. 

शरभावतार
भगवान शिव जी के इस अवतार में उनका स्वरूप आधा हिरण का था और शेष शरभ पक्षी का था. शरभ पक्षी को 8 पैरों वाला सबसे शक्तिशाली माना जाता था. भगवान शिव ने यह अवतार नरसिंह अवतार को शांत करने के लिया था.

ऋषि दुर्वासा
ऋषि दुर्वासा सदैव क्रोध में रहते थे. इन्हें शिव जी का अवतार माना जाता है. यह अपने क्रोध के लिए विख्यात थे. ऐसा माना जाता था कि यह जिस पर भी क्रोधित होते थे उसका कल्याण होता था. 

हनुमान जी अवतार
भगवान शिव का सबसे सर्वश्रेष्ठ अवतार हनुमान जी को ही माना जाता  है. हनुमान जी भगवान शिव का रुद्र अवतार है. हनुमान जी ने अपना सारा जीवन प्रभु श्रीराम की भक्ति में व्यतीत किया था. मान्यताओं के अनुसार, भगवान हनुमान जी आज भी पृथ्वी पर विचरण करते हैं.

वृषभ अवतार
भगवान शिव जी ने वृषभ अवतार लेकर विष्णु भगवान के अंहकारी पुत्रों का संहार किया था. उन्होंने विशेष परिस्थितियों में यह अवतार लिया था. 

कृष्णदर्शन अवतार
भगवान शिव के कृष्णदर्शन अवतार को पूरी तरह से धर्म का प्रतीक माना जाता है. इस अवतार में उन्होंने धरती पर धार्मिक कार्यों के महत्व को बताया था.

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अवधूत अवतार
राजा इंद्र के अहंकार के बढ़ जाने पर भगवान शिव जी ने यह अवतार लिया था. शिव जी ने अवधूत अवतार लेकर देवताओं के राजा इंद्र का अहंकार तोड़ा था. 

सुरेश्वर अवतार
शिव जी का यह अवतार उनकी प्रेमभावना को प्रदर्शित करता है. शिव जी ने सुरेश्वर अवतार में छोटे बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपने भक्त और अमर पद का वरदान दिया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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भगवान शिव के हैं कुल इतने अवतार, सर्वश्रेष्ठ माना जाता है हनुमान अवतार
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