महाकुंभ में साधु-संतों का मेला भी लगा हुआ है. साधु-संत अपने-अपने डेरों में भगवान की भक्ति में लीन हैं. दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को होने वाला है. प्रयागराज प्रशासन के मुताबिक इस अमृत स्नान में 8 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. बता दें कि अमृत स्नान का पहला अधिकार नागा साधुओं को दिया गया है. महाकुंभ में नागा साधु अपने अखाड़े के साथ कल्पवास कर रहे हैं.
प्रयागराज का एक अलग ही महत्व है
महाकुंभ 12 वर्ष बाद आता है. इसलिए माना जाता है कि महाकुंभ में सभी देवी-देवता, यक्ष, गंधर्व और अन्य देवता भी संगम में स्नान करने आते हैं. कुंभ मेला देश में केवल चार स्थानों और पांच नदियों के तट पर आयोजित किया जाता है, जिनमें उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और प्रयागराज शामिल हैं. उज्जैन में क्षिप्रा नदी, नासिक में गोदावरी, हरिद्वार में गंगा और प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है. इसी कारण प्रयाग के महाकुंभ को अधिक महत्व दिया जाता है.
देवी-देवता किस रूप में आते हैं?
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जिस भूमि पर महाकुंभ मेला लगता है वह भूमि अत्यंत पवित्र मानी जाती है. इस पवित्र भूमि पर कदम रखने मात्र से ही मनुष्य के पाप धुल जाते हैं. हर कुंभ मेले में देवी-देवता भी साधु-संतों का आशीर्वाद लेने धरती पर आते हैं. ऐसा माना जाता है कि ये देवता नागा साधु का रूप धारण करते हैं और अमृत से स्नान करते हैं. जब नागा साधुओं का समूह आगे बढ़ता है तो वे भी उनके साथ हो लेते हैं और भगवान शिव की स्तुति करते हैं.
अगर ये चीजें मिल जाएं...
इस दौरान यदि किसी व्यक्ति के हाथों फूल, फूल माला, भस्म या कोई प्रसाद मिलता है तो माना जाता है कि दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है. साथ ही उसके सारे पाप धुल जाते हैं और वह मृत्यु के बाद स्वर्ग चला जाता है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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In what form do the gods come in Maha Kumbh?
महाकुंभ में किस रूप में आते हैं देवता? अगर इनसे मिल जाएं ये चीजें तो बदल जाएगी किस्मत