तीर्थनगरी प्रयागराज इस साल महाकुंभ मेले की मेजबानी करने जा रहा है. महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु जुटते हैं, जो पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाकर भव्यता प्राप्त करते हैं. संगम के अलावा प्रयागराज में कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं जिनके दर्शन मात्र से ही शुभ फल मिलता है. इन्हीं मंदिरों में से एक है कल्याणी देवी मंदिर, जो शक्तिपीठ में शामिल है. इस मंदिर का उल्लेख पद्म पुराण, मत्स्य पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है. आइए जानते हैं इस दिव्य मंदिर के बारे में...
शक्तिपीठों में से एक है कल्याणी देवी मंदिर
प्रयागराज का कल्याणी देवी मंदिर न केवल अति प्राचीन मंदिर है, बल्कि इसे चमत्कारी मंदिर भी माना जाता है. मान्यता है कि यहां स्थित मां कल्याणी की 32 इंच ऊंची प्रतिमा महर्षि याज्ञवल्क्य ने स्थापित की थी. कहा जाता है कि यहीं उन्होंने ध्यान और तपस्या से आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त की थीं.
मंदिर का इतिहास
पुरातत्वविदों के अनुसार, यहां स्थित मूर्ति 7वीं शताब्दी की है. मंदिर का जीर्णोद्धार 1892 में किया गया था, हालांकि अलग-अलग युगों में कई राजाओं ने इसका पुनर्निर्माण कराया. मंदिर की वास्तुकला प्राचीन शैली की है, जो इसके धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाती है. यहां देवी मां की मूर्ति एक विशेष पत्थर से बनी है, जो बेहद आकर्षक और मनमोहक है. नवरात्रि और महाकुंभ जैसे विशेष अवसरों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है.
धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व
कल्याणी देवी को आद्यशक्ति का स्वरूप माना जाता है. भक्तों का मानना है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई प्रार्थना अवश्य स्वीकार होती है. नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. इसके अलावा इस मंदिर में साधु-संतों ने ध्यान और ज्ञान की साधना भी की है. मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों को मानसिक शांति का अनुभव होता है. यह स्थान न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक शक्ति का भी केंद्र है.
महाकुंभ 2025 में विशेष अवसर महाकुंभ मेले के दौरान संगम में स्नान करने के बाद,
भक्तों को कल्याणी देवी मंदिर के दर्शन को प्राथमिकता देनी चाहिए. यह पवित्र स्थान न केवल आपके धार्मिक अनुभव को समृद्ध करेगा बल्कि आपको मानसिक शांति भी देगा.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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प्रयागराज के इस मंदिर में दर्शन के बिना अधूरा होगा कुंभ स्नान, पुराणों में है इसकी विस्तृत कथा