डीएनए हिंदीः सूर्य देव (Surya Dev) जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है. सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश आज कर रहे हैं, आसाम में इस इस संक्रांति पर बीहू (Bihu In Asam) मनाया जा रहा है. असम में तीन दिन तक बिहू का पर्व मनाया जाता है. इसे माघ महीने में माघ बिहू, वैशाख में बोहाग बिहू और कार्तिक में काटी बिहू के रूप से मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं असम में किस तरह मनाया जाता है ये पर्व.
कैसे मनाया जाता है माघ बिहू
जिस प्रकार सूर्य देव के उत्तरायण होने पर उत्तर भारत में लोहड़ी, दक्षिण में पोंगल मनाया जाता है उसी उत्तर पूर्वी राज्य असम में माघ बिहू मनाया जाता है. दक्षिण भारत की तरह ही असम में भी माघ बिहू (Magh Bihu 2022) या भूगाली बिहू फसल पकने और तैयार होने की खुशी में मनाया जा रहा है. बताया जाता है कि माघ बिहू की शुरुआत लोहड़ी के दिन होती है, इसे उरुका भी कहते हैं. माघ बिहू के दिन किसान परिवार के लोग ब्राई शिबराई का विधि-विधान से पूजन करते हैं. इस दिन किसान अपनी मेहनत से उगाई पहली फसल को ब्राई शिबराई को अर्पित करते हैं. इस दिन लोग पारंपरिक धोती, गमोसा और अन्य रंगीन कपड़े पहन कर टोली बनाकर डांस करते हैं. बिहू पर्व के दिन असम के लोग खार, आलू पितिका, जाक, मसोर टेंगा आदि खाते हैं.
रात में मिलकर बनाते हैं मछली, होती है दावत
आज के दिन कई राज्यों में लोग पवित्र नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाई जाती है. इस स्थल पर उरुका की रात्रि को भोज का आयोजन किया जाता है. उरूका के दिन में लोग आधी रात और सुबह ही मछली बाजार में भीड़ लगाते हैं. और मछली बाजार में मछली वाले तरह-तरह के बड़े-बड़े मछली लाते हैं देखा जाए तो गुवाहाटी के राजधानी समीप गणेशगूरी मछली मार्केट में दुकानदारों ने तरह-तरह के बड़े-बड़े मछली लाए जैसे कि रहू मछली, शीतल मछली और आरी मछली जिसकी वजन है 50 से 60 किलो. आज उरूका के दिन आसाम के परंपरा है कि लोग बड़े-बड़े मछली खरीद कर रात को एक साथ मिलकर खाना खाते हैं.
वहीं, आज सात्विक भोजन सुबह बनार सबसे पहले भगवान को भोग लगाया जाता है. भेलाघर यानी पुआल की छावनी के समीप बांस और पुआल की मदद से झोपड़ियों का निर्माण किया जाता है. इस गुंबद या झोपड़ी को मेजी कहा जाता है. माघ बिहू (मकर संक्रांति) के दिन लोग स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं और मेजी में आग लगाते हैं. सभी लोग मेजी के चारों ओर इच्छा अनुसार खाद्य सामग्री डालते हैं. इस अवसर लोग-नाचते गाते हैं. आखिर में भगवान शुभ और मंगल की कामना करते हैं. मेजी की राख को अगले दिन खेतों छिड़का जाता है, इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से खेतों की उर्वरा शक्ति का विकास होता है.
साल में 3 बार मनाया जाता है बिहू
आपको बता दें कि माघ बिहू के साथ ही असम में बोहाग बिहू और कोंगाली बिहू भी मनाया जाता है. बोहराग बिहरू को बैसाख माह में मनाया जाता है, जबकि कोंगाली बिहू को कार्तिक के माह में मनाया जाता है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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