डीएनए हिंदी: Maa Siddhidatri, Power To Respect- BK Yogesh- नवरात्रि के नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा- आराधना पूरे भारत में होती है. महानवमी का ये दिन नवरात्रि का आखिरी दिन माना जाता है. सिद्धिदात्री नाम ही स्पष्ट होता है कि मां सर्व सिद्धि प्रदान करने वाली दात्री हैं. आज हर इंसान जीवन के अंदर सिद्धि चाहता है, सफलता चाहता है, जिस क्षेत्र में भी वो है,वहां ऊंचा जाना चाहता है और उसी के लिए वो मां सिद्धिदात्री की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यह सिद्धि उनसे ही प्राप्त हो सकती है जो व्यक्ति को बहुत आगे बढ़ा सकती है.बह्माकुमारीज की सीनियर राजयोगा टीचर बीके उषा हमें मां की महिमा और उनसे जुड़ी शक्ति का स्वरूप बता रही हैं, ताकि हम भी उसे अपने अंदर धारण कर सकें. 

बड़ों का सम्मान करना सिखाती हैं मां (Respect Your Elders)

नारी का यह प्रौढ़ स्वरूप है अर्थात जैसे-जैसे नारी बुढ़ापे की ओर बढ़ती है तो वो परिवार को सफलता का वरदान देती है. नारी का यह स्वरूप हमें स्मरण कराता है कि हमारे घर के अंदर जो बुज़ुर्ग मां है, उसका तिरस्कार न करें.आज की दुनिया में कई लोग, मां का निरादर करते हैं,जो परमात्मा शिव भी सहन नहीं करते हैं और देवी के मंदिर में आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयत्न करता है.मां को कष्ट देता है,दुःख देता है,यहां तक कि बच्चे तो मां को वृद्धाश्रम तक छोड़ देते हैं.उसकी देखभाल करना तो दूर की बात लेकिन ऐसी जगह (वृद्धाश्रम) उन्हें  छोड़ आते हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. 

यह भी पढ़ें- नवरात्रि पर गृह प्रवेश करना होता है शुभ, जानिए कौन से समय और दिन 

क्या मां सिद्धिदात्री आशीर्वाद प्रदान करेगी? शायद ये वही सन्देश दे रहे हैं कि जो घर की सिद्धिदात्री है,उसे घर में ले आओ और घर में लाकर के उसका सम्मान करो. उसने अपने सम्पूर्ण जीवन को समर्पित कर दिया है और आप पर आंच नहीं आने दी है, उनका सम्मान करो, पूजन करो, आराधन करो. वो आज भी क्षमा की देवी है और हर रीति से आशीर्वाद से भरपूर करती है, हर सिद्धि के लिए वरदान देने वाली है. तो इसलिए नवरात्रि के यह अंतिम देवी का जो आशीर्वाद प्राप्त कर लेता है, अर्थात घर की देवी का वरदान, आशीर्वाद प्राप्त कर लेता है. 

कहा जाता है कि वो कभी भी नर्क का मुंह नहीं देखेगा, वो सदा स्वर्ग लोक को ही प्राप्त करेगा क्योंकि नारी इस स्वरूप के द्वारा हर प्रकार से आशीर्वाद देते हुए भरपूर कर देती है और उनके हर आशीर्वाद फलते हैं. उनकी बद्दुआ लेकर मंदिरों में जाकर के आशीर्वाद लेने का प्रयत्न करो, क्या सफलता प्राप्त होगी? तो क्यों नहीं आज हम अपने आपको प्रतिबद्ध करें कि घर के बुज़ुर्गों का सम्मान करेंगे, आदर करेंगे, उनका यह स्वरूप परमात्मा शिव को अति प्रिय है. और जो नारी के इस स्वरूप की इज़्ज़त करता या इज़्ज़त करना जानता है, उसके ऊपर परमात्मा शिव सदा प्रसन्न हो जाते हैं और उनका आशीर्वाद का हाथ सदा उस परिवार के ऊपर बना रहता है. इसीलिए माँ का त्याग, उसने जो सहन किया, मां ने जो हर परिस्थिति को पार करने में मदद की, उमंग उत्साह भरा, उनके ऋण को कभी चुका नहीं सकते

यह भी पढ़ें- महा नवमी की  पूजा कैसे करें, शुभ समय क्या है, इस दिन कौन से तीन काम करने से बचें 

सिद्धिदात्री की उपासना

नवरात्रि के नौवे दिन मां दुर्गे की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की उपासना होती है. परमात्मा शिव से उन्होंने सर्वसिद्धियों को प्राप्त किया है. इस दिन शास्त्रीय विधि विधान और पूर्ण निष्ठां के साथ साधना करने वालों को सर्व सिद्धियां प्राप्त हो जातीं हैं, सृष्टि में उसके लिए कुछ भी अगम्य नहीं रहता। ब्रह्माण्ड पर पूरी विजय प्राप्त करने का सामर्थ्य उसमें आ जाता है. नव दुर्गा में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं. अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा और उपासना शास्त्रीय विधि विधान के अनुसार करने के उपरान्त, उपासक नवरात्रों के नौवे दिन इनकी उपासना और की ओर प्रवृत होते हैं. शिव की शक्ति और सिद्धिदात्री की उपासना से भक्तों की सिद्धियां पूरी हो जाती हैं. माँ सिद्धिदात्री, भक्तों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ है. 

मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली है.यह कमल पुष्प पर आसीन है.संसार में रहते,न्यारा रहने की प्रेरणा देती हैं. इनकी एक भुजा में कमल पुष्प भी दर्शाया गया है जो कि इनकी निर्लिप्तता का प्रतीक है. सिद्धिदात्री के कृपा पात्र भक्त कोई भी ऐसी कामना शेष रहतीं ही नहीं, जिसे वे पूर्ण करना चाहें। वो सभी सांसारिक इच्छाओं और आवश्यकताओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से माँ भगवती की ही उपासना में लीन हो जाता है. माँ भगवती का गायन, पूजन और आराधना हमें इस आसार संसार की असारता का बोध कराते हुए, वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है. इनकी उपासना से जातक को अष्ट सिद्धियां और नवनिधियाँ प्राप्त हो जातीं हैं.

यह भी पढ़ें- महा नवमी पर किन राशियों का किस पर पड़ेगा कैसा प्रभाव

सिद्धिदात्री कौनसी शक्ति का यादगार है

वास्तव में देखा जाये तो जब हम आत्माएं राजयोग का अभ्यास करती हैं तो हम में विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति, समेटने की शक्ति, परखने की शक्ति, निर्णय शक्ति, सामना करने की शक्ति, सहन शक्ति, सहयोग शक्ति जाग्रत हो जाती हैं. विकारों के कारण हम आत्माएं काली हो गईं थीं, अपने को आत्मा समझ कर शिव से योग लगाने से हम पवित्र होने लगते हैं, जिसका यादगार नवरात्रि की अष्टमी पर महागौरी स्वरूप का पूजन है. और जब ये आठों शक्तियां हम धारण कर लेते हैं तो हम आत्माएं (विशेष रूप से नारी शक्ति) सिद्धिदात्री स्वरूपा बन जाती हैं अर्थात सफलता स्वरूप बन जाती हैं और अपने भक्तों को सर्व सिद्धियों की प्राप्ति कराते हैं.

आज नवरात्रि के दिन हम प्रतिज्ञा करें कि अपने घर की सिद्धिदात्री को हम सुखी रखेंगे,  और हम अपनी मां को कभी भी दुःख के आंसू नहीं देंगे, उसका सम्मान करें, वही  हमारी सिद्धिदात्री है तो वह हमें वरदानों से भरपूर करेगी

यह भी पढ़ें- नवरात्रि के नौ दिन मत करें ये काम, ध्यान रखें इन बातों का 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर

Url Title
Maa siddhidatri puja today maha navami power to respect elders spiritual significance brahmakumaris
Short Title
बड़ों का, अपनी मां का सम्मान करना सिखाती हैं सिद्धिदात्री-ब्रह्माकुमारीज
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
 बड़ों का, अपनी मां का सम्मान करना सिखाती हैं सिद्धिदात्री
Caption

 बड़ों का, अपनी मां का सम्मान करना सिखाती हैं सिद्धिदात्री

Date updated
Date published
Home Title

Maa Siddhidatri: बड़ों का, अपनी मां का सम्मान करना सिखाती हैं सिद्धिदात्री-ब्रह्माकुमारीज