ग्रह जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. व्यक्ति की कुंडली में मौजूद ग्रह व्यक्ति को सफलता और उन्नति दिलाने में बहुत सहायक होते हैं. हालाँकि, मेहनत भी करनी पड़ती है. लेकिन, कई बार आपने देखा है कि लगातार मेहनत करने के बावजूद भी आपको मनचाहा परिणाम नहीं मिल पाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कुंडली में ग्रह कमजोर स्थिति में होता है. मेहनत का फल नहीं मिलता.
इसके साथ ही नौ ग्रहों में सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है. जब किसी व्यक्ति पर सूर्य की महादशा चलती है तो वह छह वर्ष तक चलती है. यदि कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत स्थिति में हो तो व्यक्ति को करियर और समाज में खूब मान-सम्मान और उन्नति मिलती है. यदि सूर्य कमजोर स्थिति में हो तो व्यक्ति को माणिक्य धारण करना चाहिए. क्योंकि यह रत्न आपके भाग्य को सूर्य की तरह चमका सकता है. आइए जानें सूर्य रत्न माणिक के बारे में और इसे कब और कैसे धारण करें.
सूर्य का रत्न माणिक
सूर्य का रत्न माणिक्य है. संस्कृत में इसे पद्मराग, रविरत्न, कुरुविंद, सौगंधिका, वसु रत्न कहा जाता है. माणिक्य का रंग लाल होता है. जबकि श्रीलंका में पाया जाने वाला माणिक हल्के पीले रंग का होता है. अच्छे माणिक्य की पहचान यह है कि इसे सूर्य की रोशनी में रखने पर लाल किरणें चारों ओर फैलने लगती हैं.
माणिक्य कब धारण करें?
- यदि कुंडली का स्वामी रवि हो तो आप माणिक्य रत्न धारण कर सकते हैं.
- इसके साथ ही अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य तीसरे भाव में हो तो वह माणिक धारण कर सकता है.
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य चतुर्थ भाव में हो तो व्यक्ति को आय में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए मंगल और बृहस्पति वाले लोगों के लिए माणिक पहनना लाभकारी होता है.
- यदि कुंडली के सातवें भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति को अनेक प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में किसी ज्योतिषी से सलाह लेने के बाद ही माणिक्य धारण करना चाहिए.
- यदि किसी की कुंडली में सूर्य दूसरे और बारहवें भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को नेत्र रोग होने की संभावना रहती है. ऐसे में आप किसी योग्य ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाने के बाद ही माणिक्य धारण करें.
- यदि सूर्य छठे भाव में है और उसकी विंशोत्तरी महादशा और अंतर्दशा चल रही है तो आप यह रत्न धारण कर सकते हैं.
- यदि जन्म या गोचर राशि वृषभ, तुला, मकर या कुंभ है तो उचित ज्योतिषी की सलाह के अनुसार माणिक्य धारण करना चाहिए.
- मिथुन राशि में सूर्य तीसरे भाव का स्वामी है. ऐसी स्थिति में माणिक पहनने से बचना चाहिए.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इन परिस्थितियों में माणिक्य रत्न नहीं पहनना चाहिए:
- जिन लोगों की लग्न राशि कन्या, मकर, मिथुन, तुला, या कुंभ है, उन्हें माणिक्य रत्न नहीं पहनना चाहिए.
- जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच स्थिति में है, उन्हें माणिक्य रत्न नहीं पहनना चाहिए.
- जो लोग शनि से जुड़े कारोबार करते हैं, उन्हें माणिक्य रत्न नहीं पहनना चाहिए.
- माणिक्य के साथ नीलम और गोमेद रत्न नहीं पहनना चाहिए.
- यदि कुंडली के आठवें भाव में सूर्य हो तो माणिक्य नहीं पहनना चाहिए.
- कन्या राशि में व्यास स्थान का स्वामी सूर्य है. ऐसी स्थिति में भी माणिक रत्न नहीं पहनना चाहिए.
माणिक कैसे अभिमंत्रित कर धारण करें
रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित माना जाता है. ऐसे में इस रत्न को केवल रविवार के दिन ही धारण करना बेहतर होता है. इसके साथ ही अगर पुष्य, कृतिका, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में से कोई भी एक रविवार के दिन पड़ता है तो आप सूर्योदय से लेकर सुबह 9 बजे तक अपनी छोटी उंगली में सोने या तांबे की अंगूठी में कम से कम पांच कैरेट का माणिक पहन सकते हैं. जब आप इस रत्न को धारण करें तो सूर्य मंत्रों का जाप करते रहें. 'ॐ घृणिः सूर्याय नमः' इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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