डीएनए हिंदी: शिव और पार्वती जी के पुत्र गणेश और कार्तिक के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आप उनके उस पुत्र के बारे में जानते हैं जो एक राक्षस था. आज हम आपको इस पुत्र की उतपत्ति और इसके अंत से जुड़ी एक प्रचलित कथा सुनाने वाले हैं.
क्या है राक्षस पुत्र की कहानी?
एक बार भगवान शिव और माता पार्वती घूमते हुए काशी पहुंचे. वहां भगवान शिव पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे थे. उसी समय पार्वती पीछे से आईं और अपने हाथों से भगवान शिव की आंखें बंद कर दीं. ऐसा करने पर उस एक पल के लिए पूरे संसार में अंधेरा छा गया. दुनिया को बचाने के लिए शिव ने अपनी तीसरी आंख खोल दी, जिससे संसार में पुनः रोशनी हो गई लेकिन उसकी गर्मी से पार्वती को पसीना आ गया.
उन पसीने की कुछ बूंदों से एक बालक प्रकट हुआ. बालक को देखकर माता पार्वती ने भगवान शिव से उसकी उत्पत्ति के बारे में पूछा. भगवान शिव ने पसीने से उत्पन्न हुए बालक को अपना पुत्र बताया. अंधकार में उत्पन्न होने की वजह से उसका नाम अंधक रखा गया. कुछ समय बाद दैत्य हिरण्याक्ष ने पुत्र प्राप्ति का वर मांगा तो भगवान शिव ने अंधक को उसे पुत्र रूप में दे दिया. अंधक असुरों के बीच ही पला बढ़ा और आगे चलकर असुरों का राजा बना.
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अंधक ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान मांग लिया कि वो तभी मरे जब वो यौन लालसा से अपनी मां की और देखे. अंधक ने सोचा था कि ऐसा कभी नहीं होगा क्योंकि उसकी कोई मां नहीं है. वरदान मिलने के बाद अंधक देवताओं को परास्त करके तीनो लोकों का राजा बन गया. इसके बाद उसे लगा कि अब सबकुछ हासिल कर लिया है तो तीनों लोकों की किसी सुंदरी से शादी करनी चाहिए. जब उसने पता किया सबसे सुंदर कौन है तो पार्वती का नाम सुना. जिन्होंने पिता के महल का आराम छोड़कर भगवान शिव से शादी की. अंधक शादी की इच्छा लिए पार्वती जी के पास गया और शादी का प्रस्ताव रखा. जब पार्वती ने मना किया तो वह जबर्दस्ती करने लगा. इस पर पार्वती ने शिव का आह्वान किया
पार्वती के आह्वान पर शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने अंधक को बताय कि पार्वती उसकी माता है और दोनों में माता और पुत्र का रिश्ता है. ऐसा कहकर उन्होंने अंधक का वध कर दिया.
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