डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु महेश को त्रिदेव के रूप में पूजा जाता है. इन्हीं तीन देवों ने मिलकर सृष्टि की रचना की थी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी (Bramha Ji) के सृष्टि की रचना के समय पर 5 सिर थे. वह इन सिरों से सभी दिशाओं में देखते थे. लेकिन अब सभी जगह तस्वीरों में ब्रह्मा जी (Bramha Ji) के चार सिर है. ब्रह्मा जी (Bramha Ji) के पांच सिरों और उसके बाद एक सिर कट जाने के पीछे पौराणिक गाथाएं हैं. तो चलिए जानते हैं कि ब्रह्मा जी के पांचवां सिर कहां गया.
सृष्टि के रचियता है ब्रह्म देव (Bramha Ji)
हिन्दू पौराणिक के अनुसार समस्त सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने ही की थी. जीव-जंतु, पेड़-पौधे, नर-नारी सभी के रचियता ब्रह्म देव माने जाते हैं. कलयुग में ब्रह्म देव की पूजा होती है ब्रह्म देव की प्रतिमा में चार सिरों को दर्शाया गया है. हालांकि पहले उनके पांच सिर थे. उन्होंने मानव विकास के लिए एक सुन्दर स्त्री की की रचना की थी. स्त्री का नाम सतरूपा था. देवी सतरूपा ब्रह्म देव की पुत्री थी लेकिन वह उस पर ही मोहीत हो गए थे.
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इसलिए काटा था ब्रह्म देव का पांचवां सिर
वह देवी सतरूपा को पाने के लिए आगे बढ़ रहे थे तब वह हर दिशा में जाकर उनसे बचने लगी. तभी देवी सतरूपा को देखने के लिए ब्रह्मा जी के 3 सिर और आ गए थे. जब देवी सतरूपा ऊपर की ओर जाने लगी तो एक सिर ऊपर की दिशा में भी आ गया. भगवान शिव ब्रम्ह देव की इन हरकतों को परेशान हो गए थे. उन्होंने ब्रह्म देव से सतरूपा को बचाने और घोर पाप होने से रोकने के लिए भगवान भैरव को प्रकट किया था. भगवान भैरव ने ब्रह्म देव का पांचवां सिर काट कर सतरूपा को कुदृष्टि से बचाया था. सिर कटने के बाद ब्रह्म देव को अपनी गलती का अहसास हो गया था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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चार नहीं ब्रह्मा देव के थे पांच सिर, जानें क्योंं भगवान शिव ने सृष्टि के रचयिता का काटा था सिर