डीएनए हिंदीः खाटू श्याम जी का मंदिर करीम 85 दिन बाद कल यानी सोमवार शाम चार बजे खुल तो गया लेकिन मंदिर की व्यवस्था और नियम में काफी बदलाव हो चुका हैं. बाबा के दर्शन से लेकर प्रसाद चढ़ाने तक के लिए नई वयव्था जरूर जान लें.
असल में अब भक्त मंदिर में न तो बाबा को छू सकेंगे न ही प्रसाद चढ़ा सकेंगे. VIP लाइन दिव्यांगों के काम आएगी और बिना ऑनलाइन बुकिंग के मंदिर में प्रवेश ही नहीं मिलेगा. कुछ ऐसे ही कई और नियम में बदलाव हुए हैं. तो चलिए विस्तार से मंदिर के नई व्यवस्था के बारे में जान लें.
कांच के बाहर से होंगे बाबा के दर्शन
बाबा और भक्तों के बीच में कांच की दीवार होगी. इस दीवार के कारण ही भक्त अब बाबा को प्रसाद का भोग नहीं लगा पाएंगे. पारदर्शी कांच से ही दर्शन होगा.
बस इतने मिनट का होगा दर्शन
खाटूश्यामजी मंदिर में सामान्य दिनों में मात्र 10 मिनट में बाबा के दर्शन हो सकेंगे. जबकि किसी त्योहार के समय यह समय घट कर कुछ मिनट या सेकेंड तक का ही होगा. हर दिन सुबह 4:30 से रात 10 बजे तक दर्शन हो सकेंगे
कुल 14 लाइन से दर्शन व्यवस्था
भक्तों को दर्शन आसानी से हो, इसका पूरा इंतजाम किया गया है. इस कारण कई बदलाव भी किए गए हैं. लखदातार ग्राउंड में लाइन की संख्या ज्यादा करने के साथ ही एग्जिट भी दो की गई है. बिजली की लाइनों को भी अंडरग्राउंड किया गया है. श्याम मंदिर कमेटी ऑफिस के पास 75 फीट का ग्राउंड है. इस ग्राउंड में पहले 4 बैरिकेट्स में भक्त खड़े होकर मंदिर की तरफ आगे बढ़ते थे.
अब वीआईपी समेत कुल 14 लाइन बनाई गई है. इनमें पुरानी लाइन भी शामिल है. पुरानी लाइन में लगकर आने वाले भक्तों का एग्जिट नए पूछताछ केंद्र की तरफ कबूतर चौक के रास्ते होगा. नई लाइन में लगने वाले श्रद्धालुओं का एग्जिट 40 फीट के रास्ते कला भवन के पास होगा. इंक्वायरी सेंटर को मंदिर चौक के बाहर शिफ्ट किया गया है ताकि श्रद्धालु बिना भीड़ में घुसे इंक्वायरी सेंटर से जानकारी ले सकें.
75 फीट ग्राउंड में जिगजैग के बीच एक बड़ा 8 फीट का स्पेस रखा गया है. इससे मेले के दौरान सेवक जिगजैग में लगे श्रद्धालुओं तक पानी मुहैया करा सकेंगे. नए 75 फीट के जिगजैग में लगने के बाद श्रद्धालुओं को आम दिनों में करीब 10 मिनट में दर्शन हो पाएंगे.
लखदातार ग्राउंड में भक्तों की अब नई 14 लाइन लगेगी. पहले केवल 4 लाइन होती थी. इस कारण भीड़ ज्यादा होने पर परेशानी होती थी. सोमवार को पट खुलने पर लाइन में खड़े बाबा के भक्त दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हुए.
दिव्यांग वीआईपी लेन से करेंगे दर्शन
अब दिव्यांग बाबा की मूर्ति के सबसे पास वीआईपी लेन से ही दिव्यांगों को दर्शन करेंगे. मंदिर में पहले की तरह अब फेरी नहीं दे सकेंगे. मंदिर की पुरानी जिगजैग में लगने वाले श्रद्धालु एक 4 फीट के रैंप से दर्शन करेंगे.
40 से ज्यादा दानपात्र लगाए गए
मूर्ति के सामने एक पारदर्शी कांच लगा दिया है. मंदिर में अब प्रसाद नहीं चढ़ाया जा सकेगा. हालांकि जगह-जगह 40 से ज्यादा दानपात्र लगाए गए हैं. इसके अलावा मंदिर में लगे शटर की ऊंचाई भी बढ़ा दी गई है. मेले में जहां मंदिर कमेटी के पास निशान जमा होते थे, उन्हें अब 75 फीट ग्राउंड के एंट्री गेट पर ही शिफ्ट कर दिया गया है. मेले के दौरान इसमें बदलाव किया जाता है. मंदिर के मुख्य परिसर में फायर सिस्टम भी लगा दिया गया है.
ये मंदिर की चाक-चौबंद व्यवस्था
नई लाइनों में लगने वाले श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के बाद 40 फीट के रास्ते कला भवन के पास से बाहर आएंगे. सुरक्षा में लगे 1100 पुलिस और आरएसी के जवान मंदिर कमेटी की ओर से वर्तमान में करीब 67 गार्ड ड्यूटी में लगे हुए हैं. इसके अलावा तीन एजेंसियों की करीब 45 महिलाएं और करीब 42 पुरुष गार्ड ड्यूटी दे रहे हैं. CCTV कंट्रोल रूम को मंदिर कमेटी ऑफिस के बिल्कुल पास बनाया गया है. इसके अलावा करीब 1100 पुलिस और आरएसी के जवान ड्यूटी कर रहे हैं. कस्बे में करीब 16 ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं.
एंट्री से लेकर एग्जिट को लेकर नई व्यवस्था बनाई गई है, इस तरह होंगे दर्शन
- भक्त सबसे पहले मांगीलाल धर्मशाला के पास पहुंचेंगे.
- यहां से 75 फीट ग्राउंड में जिगजैग लाइन में लगेंगे.
- प्रवेशद्वार में एंट्री लेकर मंदिर परिसर में पहुंचकर बाबा के दर्शन करेंगे.
- मंदिर में दर्शन का टाइम पहले जैसा ही रहेगा. भीड़ बढ़ने और मेले के दौरान इसमें बदलाव किया जाएगा.
- पूछताछ केंद्र को अब मंदिर के मुख्य द्वार के पास शिफ्ट कर दिया गया है. ताकि बिना मतलब पूछताछ करने वालों की भीड़ अंदर न जा सके.
- पूछताछ केंद्र को अब मंदिर के मुख्य द्वार के पास शिफ्ट कर दिया गया है. ताकि बिना मतलब पूछताछ करने वालों की भीड़ अंदर न जा सके.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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खाटूश्यामजी के दर्शन के बाद नहीं चढ़ा सकेंगे प्रसाद, बदल गई है मंदिर की नियम-व्यवस्था