डीएनए हिंदीः नवरात्रि में नौ दिन विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने के साथ माता रानी के भक्त नौ दिन का उपवास रखते हैं और अष्टमी या फिर नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं. नवरात्रि में कन्या पूजन का खास महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन के बाद ही व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है. इसलिए कन्या पूजन में छोटी-छोटी कन्याओं को आदर पूर्वक घर बुलाकर (Kanya Pujan Vidhi) उनकी पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें भोजन करवाया जाता है. इसके अलावा भोजन के बाद यथा संभव दान-दक्षिणा भी दिया जाता है. ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. लेकिन कन्या पूजन के दौरान एक छोटी सी (Kanya Pujan) भी गलती मां दुर्गा की नाराजगी का कारण बन सकती है. ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कन्या पूजन का सही मूहुर्त, पूजा के नियम और विधि...
कब करें कन्या पूजा ? (Kanya Puja Kab Kare)
शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने पर ही कन्या पूजन किया जाता है और उसके बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. लेकिन जो लोग अष्टमी पर अपनी कुलदेवी की पूजा करते हैं तो वह महाष्टमी पर कन्या पूजन कर सकते हैं. बता दें कि नवरात्रि में अष्टमी-नवमी दोनों दिन मुख्य माने गए हैं और इस दिन कन्या पूजा करने से देवी दुर्गा बहुत प्रसन्न होती हैं और अन्न-धन्य के भंडार भरती हैं.
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महाष्टमी पर कन्या पूजा 2023 मुहूर्त (Mahashtami Kanya Pujan 2023 Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन शुक्ल महाष्टमी यानि दुर्गाष्टमी की शुरुआत 21 अक्टूबर 2023 को रात 09.53 मिनट से 22 अक्टूबर 2023 को रात 07.58 मिनट तक रहेगी और कन्या पूजन के लिए सुबह या दोपहर का मुहूर्त शुभ माना जाता है.
सुबह का शुभ मुहूर्त - सुबह 07.51 से सुबह 10.41
दोपहर का शुभ मुहूर्त - दोपहर 01.30 से दोपहर 02.55
इसके अलावा आज सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है जिसका समय सुबह 6 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 44 मिनट तक यह योग बनेगा और इस शुभ योग में कभी भी कन्या पूजन किया जा सकता है.
महानवमी कन्या पूजन मुहूर्त (Mahanavami Kanya Pujan Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार 23 अक्टूबर को कन्या पूजन मुहूर्त सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा और इसके बाद सुबह 9 बजकर 16 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा इस दिन अन्य पूजन मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 55 मिनट तक रहेगा और उसके बाद दोपहर 2 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.
कन्या पूजन की विधि (Mahashtami Kanya Pujan Vidhi)
अष्टमी के दिन कन्या भोज या पूजन के लिए गृह प्रवेश पर कन्याओं का पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं. इसके बाद कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से धोएं और पैर छूकर आशीष लें. इसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएं और फिर मां भगवती का ध्यान करके देवी रूपी कन्याओं को इच्छानुसार भोजन कराएं. भोजन कराने के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें और फिर उनके पैर छूकर आशीष लें. इसके अलावा नौ कन्याओं के बीच किसी बालक को कालभैरव के रूप में जरूर बिठाएं.
कन्या भोज के नियम (Kanya Pujan Niyam)
- कन्याओं के घर में आने के बाद उन्हें सीधे भोजन करने के लिए नहीं बैठाना चाहिए.
- सबसे पहले उनके पांव अपने हाथ से धुलाएं और फिर पैर पोछ दें.
- फिर उन्हें हल्दी, कुमकुम और अक्षत से तिलक करें.
- भोजन करने के लिए ऐसे बैठाएं कि उनका मुख पूर्व दिशा की ओर हो.
- बैठने का आसन साफ होना चाहिए.
- कन्याओं को खीर, पूड़ी, सब्जी और हलवा चना आदि पकवान परोसें.
- कन्याओं को खाने के लिए जबर्दस्ती नहीं करनी चाहिए, जितना खा पाएं उन्हें उतना ही आदरपूर्वक खिलाएं.
- भोजन कराने के बाद कन्याओं के पैर धोकर उन्हें उपहार स्वरूप कोई वस्तु जरूर दें.
- उपहार में आप फल, सिक्के, लाल चुनरी, मिठाई, कोई भी एक बर्तन दे सकते हैं.
- उपहार देने के बाद पैर छुएं और उनसे आशीर्वाद लेकर उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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अष्टमी-नवमी पर कब है कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि और नियम