Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ में छाए IITian बाबा यानी अभय सिंह की चर्चा चारों तरफ हो रही है. अभय सिंह ने आईआईटी मुंबई से एरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है. जिसके बाद उन्होंने कनाडा में नौकरी भी की. लेकिन यह सब छोड़कर वह अध्यात्म की राह पर चल पड़े हैं. ऐसे में इतना सब होने के बाद भी अभय सिंह संत क्यों बन गए इस बात पर सवाल उठ रहे हैं. IITian बाबा अभय सिंह के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. कई लोगों ने उनका इंटरव्यू भी किया है. जिसमें अभय सिंह ने इसके बारे में बताया है. चलिए आपको बताते हैं कि, अभय सिंह नौकरी छोड़ संत क्यों बन गए?
कौन हैं IITian बाबा अभय सिंह ग्रेवाल?
अभय सिंह ग्रेवाल हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले हैं. अभय सिंह ने आईआईटी मुंबई से एरोस्पेस इंजीनियरिंग की है. वह कनाडा में लाखों के पैकेज की नौकरी भी कर चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभय सिंह की सैलरी कनाडा में 3 लाख रुपये महीना थी. हालांकि, अब अभय सिंह ने दुनिया की चकाचौंध को छोडकर अध्यात्म की राह अपना ली है.
कैसा था इंजीनियर बाबू से बाबा बनने का सफर?
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अभय सिंह ने अपने बारे में सबकुछ बताया. उनका कहना है कि, दुनिया को लेबल पसंद है लेकिन मुझे किसी तरह का लेबल पसंद नहीं है. अभय सिंह का कहना है कि, मेरा मकसद मुक्ति की तलाश करना है लेकिन नौकरी मेरी मुक्ति की राह रोक रही थी. नौकरी ने एक ऐसे ढांचे में बांध रखा था जिससे व्यक्ति एक लेबल में आकर बंध जाता है.
लोग समझने लगे थे पागल
वह घर में भी मेडिटेशन करते थे लेकिन तब लोग उन्हें पागल समझने लगे. वह नौकरी के लिए 2019 में कनाडा गए थे जहां से वह नौकरी छोड़कर वापस आ गए. अभय ने कहा "ऐसा लगा कि ज्यादा पैसा कमाकर कोई फायदा नहीं जब खुशी नहीं मिलेगी. बिजनेस वाले और बहुत पैसे वाले लोग भी खुश नहीं है. इससे अच्छा अपने क्रेज और पैशन को फॉलो करो." इसके बाद अभय सिंह ने ट्रैवल फोटोग्राफी, फिल्म मेकिंग, मार्केटिंग की लेकिन इससे भी मन भर गया.
ऐसे चुनी अध्यात्म की राह
अभय सिंह के परिवार ने अध्यात्म की ओर रुख करने से मना कर दिया था. उनके घर का माहौल बचपन से ही बहुत खराब था. वह बार में बनारस में सोमेश्वर पुरी गुरू से मिले. इन्होंने ही अभय सिंह का जीवन बदल दिया. उन्होंने कहा कि, ज्ञान का स्त्रोत महादेव हैं. अभय सिंह के गुरू सोमेश्वर पुरी ने उन्हें अघौड़ियों और नागा साधुओं से मिलवाया ताकि वह उन्हें देख अधिक से अधिक शक्ति से साधना में तल्लीन हो सकें. इस तरीके से उन्होंने आधुनिक जीवन को छोड़ अध्यात्म की राह को चुना.
खबर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments
लाखों की नौकरी छोड़ संत क्यों बन गए अभय सिंह? जानें Mahakumbh में छाए IITian बाबा की कहानी