डीएनए हिंदी: धर्म शास्त्रों में कुबेर को धन का देवता माना जाता है. बड़े-बड़े कारोबारी कुबेर की पूजा करते हैं. धन के यह देवता दिग्पाल और प्रहरी के रूप में धन और खजाने की रक्षा करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुबेर को सोने की लंका कैसे मिली? साथ ही इन्हें धनाध्यक्ष क्यों कहा जाता है?
कुबेर को कैसे मिली थी सोने की लंका
रामायण के मुताबिक कुबेर को उनके पिता ऋषि विश्रवा सोने की लंका उपहार में दी थी. कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने कुबेर की तपस्या से खुश होकर उन्हें उत्तर दिशा का स्वामी और धन का देवता बनाया था. इसके अलावा उन्हें एक पुष्पक विमान भी उपहार में दिया गया था. एक बार पिता के कहने पर कुबेर ने सोने की लंका अपने भाई रावण को दे दी. इसके बाद वे कैलाश पर्वत के नजदीक अलकापुरी में जाकर बस गए. कहते हैं कि रावण जब विश्व विजय के लिए निकला था तो उसने अलकापुरी पर भी आक्रमण कर दिया था. तब रावण और कुबेर के बीच युद्ध हुआ लेकिन ब्रह्माजी से मिले वरदान की वजह से कुबेर, रावण से हार गए इसके बाद रावण ने कुबेर का पुष्पक विमान भी छीन लिया.
शास्त्रों में कुबेर के बारे में एक और कथा आती है कि उनके तीन पैर और आठ दांत हैं. ये अपनी कुरूपता के कारण प्रसिद्ध हैं. शतपथ ब्राह्मण नामक ग्रंथ में इन्हें राक्षस कुल का बताया गया है. हालांकि कुबेर को यक्ष भी कहा गया है. यक्ष को धन का रक्षक माना जाता है.
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जिसने Ravana को दी थी सोने की लंका, रावण ने उसी पर कर दिया था हमला