डीएनए हिंदीः बिहार के कोसी और मिथिलांचल क्षेत्र में बगैर दिवाली बिना हुक्का-पाती रिवाज के पूरी नहीं मानी जाती. हुक्का-पाती सनसनाठी और पाट (सन) की रस्सी से बनाते हैं. सनसनाठी का कुछ हिस्सा लोग घर भी लेकर आते हैं. हुक्का-पाती के माध्यम से लोग दरिद्रता को घर से बाहर निकालते हैं और धन की देवी लक्ष्मी को घर में प्रवेश कराने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं.

दिवाली पर सदियों से चली आ रही इस परंपरा में लोग हुक्का-पाती जलाते हैं. मान्यताओं के अनुसार सनातन काल से यह परंपरा चली आ रही है. दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा के बाद घर के मुखिया के अलावा अन्य सदस्य पूजा स्थल पर घी या सरसों के तेल के दीये से सनसनाठी (पटसन के पौधे से सन निकालने के बाद बचा हुआ लकड़ी जैसा हिस्सा) की बनी हुक्का-पाती को जलाते हुए घर के हर कोने में दिखा कर घर के बाहर रखकर जलती हुई सनसनाठी का पांच बार तर्पण करने करते हैं. इसे सामूहिक तौर पर निभाया जाता है.

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सनसनाठी का कुछ हिस्सा लोग घर भी लेकर आते हैं. हुक्का-पाती के माध्यम से लोग दरिद्रता को घर से बाहर निकालते हैं और धन की देवी लक्ष्मी को घर में प्रवेश कराने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं.
असल में सनातन काल से हुक्का-पाती की परंपरा घर से दरिद्र नारायण के वास को खत्म करने के लिये चल रही है. हुक्का-पाती घर के सभी पुरुष सदस्य मिलकर खेलते हैं. वरिष्ठ महिला सदस्य घर की लक्ष्मी मानी जाती हैं इसलिए वो पाती उन्हें सौंपी जाती है. 

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सनसनाठी जलाने के पीछे है ये भी परंपरा

पटसन बरसात के बाद तैयार एक हल्की लकड़ी होती है. यह जलने में आसान होती है. यह जलाने में सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से भी सही है. इसके जलने से कार्बन डाइऑक्साइड कम उत्सर्जन होता है. घर में इसको घुमाने से बरसात के दौरान जंगल की अधिकता से कीट-पतंगे जो आ जाते हैं तो वो सभी जल कर खत्म हो जाते हैं. दीपावली में साफ-सफाई का जो महत्व है उसमें यह और सपोर्ट करता है. सनसनाठी के जलने सेआस-पास में फैले बैक्टीरिया भी मर जाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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Hookah-patti burnt on Diwali in Bihar today, unique custom rituals of deepawali to remove the poverty of house
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आज दिवाली पर जलेगी हुक्का-पाती, घर की दरिद्रता दूर करने का है ये अनोखा रिवाज
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