डीएनए हिंदी : नवरात्रि (Gupta Navratri 2022) के छठवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है.इसके साथ ही विवाह में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषापुर का वध किया था. असुर महिषासुर का वध करने के कारण इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है.
कात्यायनी हैं योद्धा देवी!
देवी के छ्ठे रूप (Gupta Navratri 2022) को योद्धा देवी के रूप में भी जाना जाता है जो माता पार्वती का एक रूप हैं. माता पार्वती ने महिषासुर राक्षस को मारने के लिए ये अवतार लिया था और इसीलिए उन्हें महिषासुरमर्दिनी (महिषासुर का वध करने वाली) के रूप में भी पूजा जाता है.
वामन पुराण में दर्शाया गया है कि राक्षस महिषासुर को मारने के लिए, सहज क्रोध से, देवताओं की ऊर्जा किरणें ऋषि कात्यायन के आश्रम में संयुक्त और क्रिस्टलीकृत हुईं, जहां उन्होंने इसे देवी का उचित रूप दिया. कात्यायन की पुत्री के रूप में कात्यायनी नाम दिया गया है.
Gupt Navaratri 2022 : आदि शक्ति स्वरूपा हैं कात्यायनी
माता का वर्णन मार्कंडेय पुराण के देवी महात्म्य भाग में मिलता है जिसका श्रेय ऋषि मार्कंडेय को जाता है. उन्हें मां दुर्गा के आदि शक्ति स्वरूप के रूप में पूजा जाता है. अविवाहित लड़कियां व्रत रखती हैं और मनचाहा पति पाने के लिए इस रूप की पूजा करती हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Gupt Navratri 2022 : छठे दिन होती है कात्यायनी की पूजा, जानिए क्यों उन्हें मिला है यह नाम