डीएनए हिंदी: रत्न शास्त्र के अनुसार, मुख्यतः नौ रत्न (9 Gemstones) ही ज्यादा धारण किए जाते हैं और हर एक रत्न का अपना अलग-अलग महत्व होता है. इन रत्नों को राशि के अनुसार धारण किया जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं इन रत्नों का भी एक एक्सपायरी डेट होता है (Expiry Date Of Gemstone. दरअसल इन रत्नों की एक समय सीमा होती है और वह सीमा खत्न होने के बाद रत्न का महत्व खत्म हो जाता है. ऐसे में बिना महत्व का रत्न धारण करने का कोई फायदा नहीं रह जाता (Astrology Tips).
जब व्यक्ति अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कोई रत्न धारण करता है तो वह रत्न हवा, पानी और मनुष्य के शरीर के संपर्क में आता है और उसकी वजह से वह दिन-प्रतिदिन घिसता रहता है. ऐसे में इन रत्नों का प्रभाव कम होता रहता है. आइए जानते हैं कौन से रत्न के कितने साल तक रहता है प्रभाव.
माणिक
यह रत्न अंगूठी में जड़वाने से लेकर चार साल तक प्रभावशाली रहता है. जिसके बाद इसका प्रभाव धीरे धीरे कम होने लगता है.
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पन्ना
पन्ना रत्न को अंगूठी में जड़वाने के दिन से तीन साल तक प्रभावशाली रहता है और इसके बाद इसका महत्व खत्म हो जाता है.
हीरा
हीरा बहुत ही महंगा रत्न है, यह अंगूठी में जड़वाने के सात साल तक प्रभावशाली रहता है.
नीलम
ज्योतिषियों के अनुसार यह रत्न अंगूठी में पहनने के पांच साल तक प्रभावशाली रहता है.
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पुखराज
पुखराज की समयसीमा चार साल की होती है. चार साल के बाद इसका प्रभाव खत्म होने लगता है.
गोमेद
इस रत्न की समयसीमा तीन साल तक की होती है. पहनने के बाद तीन साल तक ही इसका प्रभाव रहता है.
लहसुनिया
यह रत्न धारण करने के दिन से लेकर अगले तीन साल कर प्रभावशाली रहता है. जिसके बाद इसका प्रभाव कम होने लगता है.
रत्न धारण करते समय इन बातों का रखें ध्यान
रत्न हमेशा राशि के अनुसार ही धारण करना चाहिए. साथ ही लहसुनियां-हीरा, मूंगा-नीलम, नीलम-माणिक इन सभी को कभी एक साथ नहीं पहनना चाहिए. इन रत्नों को आप एक साथ तभी पहन सकते हैं तब ग्रहों की अवस्था हो या दशा-अन्तर्दशा चल रही हो, तभी ये रत्न आपके लिए फायदायी साबित होंगे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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रत्नों का भी होता है एक्सपायरी डेट, जानिए कितने साल में कौन से रत्न का प्रभाव हो जाता है कम